जयदीप शर्मा
देश के पांच राज्यों में से खास करके हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के नवम्बर – दिसम्बर 2023 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व चुनाव जीतने इतनी कवायद कर रही है कि मत पूछो। इन राज्यों के सांसदों के अलावा राज्य स्तरीय केन्द्रीय मंत्रियों तक को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी है। भाजपा एवं केन्द्रीय मंत्री और चार सांसदों (एक राज्य सभा ) को चुनाव मैदान में उतार सकती है। छत्तीसगढ़ में दुर्ग के सांसद विजय बघेल से इसकी शुरूआत हो गई है। उन्हें पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया है। ऐसा करने का एकमात्र मकसद यह है कि मुख्यमंत्री को उनके विधानसभा क्षेत्र में घेर लिया जाए ताकि वे छ.ग. के कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में समय न दें सके।
जहां तक विजय बघेल की उम्मीदवारी की बात है तो वे पूर्व में भूपेश बघेल को पराजित कर चुके हैं तथा वर्तमान में वे दुर्ग से सांसद है (जहां तक उनके द्वारा पूर्व में भूपेश बघेल को पराजित करने की बात है तो यह तईहा के बात ल बइहा लेगे जैसी बात है) भाजपा के केन्द्रीय नेताओं की सोच है कि उनके सांसद जब लोकसभा चुनाव जीत सकते हैं तो वे विधानसभा का चुनाव भी जीत सकते हैं। यदि वे चुनाव हार भी गए तो भी उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है लेकिन भाजपा नेता यह बात भूल जाते हैं कि राज्य के मतदाता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताते हंै जबकि बारी जब लोकसभा चुनाव की आती है तब वे भाजपा के लिए वोट करते हैं।
सूत्रों के अनुसार विजय बघेल के अलावा केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह को भी विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी है। इसी तरह राज्यसभा सदस्य सरोज पाण्डेय भी लाइन में है। उन्हें वैशाली नगर या दुर्ग से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसी तरह राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से सांसद संतोष पाण्डेय को भी संभवत: कवर्धा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदन में उतारने की चर्चा है।
इसी तरह की तैयारी म.प्र. में भी देखने को मिल रही है। उन्हें अंदेशा है कि मध्यप्रदेश में भले ज्योतिरादित्य सिंधिया के 20-22 विधायकों के साथ दल बदल के कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए। चौहान द्वारा आम जनता को लुभाने लाडली बहना योजना सहित ढेरों लोक लुभावन योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके बावजूद म.प्र. में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के प्रभावशाली होने के चलते उन्हें पटखनी देने के लिए यहां भी सांसदों एवं राज्य मंत्रियों को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी है। इसी बीच कुछ नामों की घोषणा भी कर दी गई है।
सवाल उठता है कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व पांच वर्षों तक करते क्या रहा है कि अब उन्हें कई – कई स्तरों तक केन्द्रीय पर्यवेक्षकों से फीड बैक लेने के बावजूद अपने नेतओं के जीतने पर संदेह है, यही कारण है कि वह अपने सांसदों एवं राज्य स्तरीय मंत्रियों, राज्य सभा सदस्यों को विधानसभा चुनाव में झोंक रही है। उन्हें तो पूरे 5 वर्षो तक अपने पर्यवेक्षकों से कांग्रेस के नेताओं के कार्यो, उनकी जनविरोधी नीतियों तथा भ्रष्ट्राचार को लेकन फीडबैक लेते रहना चाहिए था ताकि ऐन चुनाव के समय (जैसी आपाधापी वर्तमान में मची हुई है) वैसी हड़बड़ी न मतों और वे जनाधार एवं स्वच्छ छवि वाले भाजपा नेताओं को चुनाव लड़ा सकें।
दरअसल पक्ष के नेता हों या विपक्ष के, उनमें एक बीमारी आम है। वे पहले की तरह 5 वर्षो तक जनांदोलनों का नेतृत्व करने के बदले केवल आरोप – प्रत्यारोप एवं अखबारी बयान बाजी में मशगूल रहते रहे हैं। स्पष्ट कहें तो वे सुविधाभोगी हो चुके हंै। परिणाम स्वरूप वर्तमान में चुनाव लड़ने के लिए सांसदों एवं राज्य मंत्रियों तक को झोंका जा रहा है। इसे केन्द्र स्तर के बड़े भाजपा नेताओं की विफलता मानी जानी चाहिए। स्पष्ट कहें तो उन्हें चुनावी तैयारी के लिए अपने स्तर पर पूरे पांच वर्षो तक भले ही धीमी गति से ही सही, गुपचुप तैयारी करते रहना चाहिए।
इन भाजपा सांसदों के चुनाव लड़ने की चर्चा है
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा म.प्र. में जिस तरह से केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा के लिए उम्मीदवार बनाया गया है उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ से भी चुनाव लड़ाने की चर्चा जोर पकड़ रही है। अब छत्तीसगढ़ के 9 सांसदों में से विजय बघेल (सांसद दुर्ग) को पाटन से विधानसभा के लिए उम्मदीवार बनाने के बाद शेष बचे 8 सांसदों में से 4 सांसदों को भी विधानसभा का चुनाव लड़ाने की चर्चा जोरों पर है।
इनमें से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तथा सांसद (बिलासपुर) अरूण साव का नाम लोरमी – बिलासपुर में से किसी एक पर फायनल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसी तरह केन्द्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह का प्रेम नगर विधानसभा सीट से टिकट देने की चर्चा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे सरगुजा से सांसद चुनी गई थी।
इसी क्रम में कवर्धा निवासी सांसद (राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र) संतोष पाण्डेय को कवर्धा से चुनाव लड़ाने की चर्चा जोर पकड़ रही है वहीं सांसद गोमती साय जो रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, उनके नाम की भी चर्चा लैलंूगा अथवा सारंगढ़ से चुनाव लड़ाने की है। राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डे को दुर्ग अथवा वैशाली नगर में से किसी एक पर टिकट मिल सकता है। इसी तरह कोंडागांव से विधायक रह चुकी और बस्तर से जाना पहचाना नाम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेन्डी को कोंडागांव से टिकट देकर चुनाव लड़ाया जा सकता है।
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