रविकांत तिवारी@देवभोग। छत्तीसगढ़ के कैटपदर पंचायत और ओड़िसा के कुसुमजोर पंचायत के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के राजस्व अधिकारियों के साथ ही जनपद पंचायत के अधिकारी आज सीमा विवाद वाले सड़क पर पहुँचे.. छत्तीसगढ़ के तरफ से देवभोग ब्लॉक के तहसीलदार जयंत पटले और जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान ने विवाद सुलझाने के लिए कमान संभाला था, तो वहीं ओड़िसा की तरफ से नुवापाड़ा के एसडीएम सुभाष चंद्र रायत और वीडियो सर्वश्वर जाल भी मौक़े पर पहुँचकर विवाद को सुलझाने के लिए डटे रहे, इस दौरान दोनों राज्यों के राजस्व अमले ने अपना रिकॉर्ड लेकर पुरे सड़क का निरीक्षण किया.. निरीक्षण के बाद देवभोग तहसीलदार जयंत पटले ने बताया कि सीमा विवाद जनवरी में सामने आया था, वहीं विवाद के बाद आज पहली बार दो राज्यों के अधिकारियों ने संयुक्त दौरा किया है..तहसीलदार ने माना कि निश्चित रूप से सीमा का विवाद है,वहीं सीमा का यह सड़क कुछ जगह ओड़िसा के सीमा में दिख रहा है, तो कुछ जगह छत्तीसगढ़ की सीमा में दिख रहा है..तहसीलदार ने कहा कि दोनों सरपंचों में सहमति हो गई है कि वे आपस में चर्चा करके सड़क में काम करेंगे.. तहसीलदार ने यह भी कहा कि चुंकि केंद्र सरकार की योजना में एक काम के ऊपर दूसरा काम तीन साल तक नहीं कर सकते, ऐसे में दोनों सरपंच आपस में समन्वय स्थापित कर काम करेंगे…वहीं देवभोग जनपद पंचायत के सीईओ प्रतीक प्रधान ने कहा कि इसे सीमा विवाद का नाम देना गलत है, यह दो पंचायत के बीच का मामला है, चूंकि ओड़िसा के कुसुमजोर पंचायत में मनरेगा के तहत मुरमीकरण का काम स्वीकृत हुआ है..वहीं इससे पहले कैटपदर पंचायत के द्वारा पुलिया का काम करवाया गया था..सीईओ ने यह भी कहा कि ग्राम पंचायतों के बीच आपसी समन्वय नहीं होने के चलते बात बढ़ जाती है और इसे सीमा विवाद का नाम दे दिया जाता है..सीईओ प्रधान ने यह भी कहा कि ओड़िसा के कुसुमजोर पंचायत के सरपंच स्वीकृत कार्य का आदेश कॉपी और पंचायत प्रस्ताव की कॉपी भी छत्तीसगढ़ के कैटपदर पंचायत को सौपेंगे, इसके बाद दोनों की आपसी सहमति के बाद काम शुरू होगा.. वहीं ओड़िसा से आये अधिकारियों ने भी दोनों सरपंचों को समन्वय स्थापित कर काम करने का सलाह दिया.. वहीं मौक़े पर मौज़ूद दोनों सरपंचों ने भी आपसी सहमति से कार्य करने की बात कही…
मनरेगा योजना के नियमों का पालन कर दोनों सरपंच करेंगे काम-: देवभोग जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान और ओड़िसा के कापसी सीनापाली के वीडियो सर्वेश्वर जाल ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि दोनों पंचायत के सरपंच मनरेगा नियमों का पालन करते हुए काम करेंगे.. देवभोग जनपद सीईओ ने कहा कि केंद्र सरकार की मनरेगा योजना में जहाँ एक बार काम स्वीकृत हुआ, इसके बाद अगले तीन साल तक सम्बन्धित जगह पर काम स्वीकृत नहीं होता..वर्क कोड भी जनरेट होता है, जो भी वर्क कोड के साथ ओवर लेपिंग करता है, उसकी रिपोर्ट केंद्र तक जाती है.यदि कोई पंचायत तीन साल के अंदर वहां काम स्वीकृत करवा लेता है, तो उसके ऊपर कार्रवाई का भी प्रावधान है…
दोनों सरपंचों का दावा.. ये हमारी है सीमा-: सीमा विवाद सुलझाने पहुँचे अधिकारियों के सामने दोनों पंचायत के सरपंच अपने दावे पेश करते रहे, पहले कैटपदर की सरपंच श्रीमती संजूलता नागेश ने कहा कि मेरे सरपंच बनने के बाद दो पुलिया का काम वहां हुआ है, ज़ब ओड़िसा का सड़क था, तो पुलिया निर्माण के दौरान किसी ने क्यों विरोध नहीं किया.. ज़ब मैंने जनवरी में मुरम कार्य का विरोध कर अधिकारी को अवगत करवाया, तो अब जाँच के बाद अपनी सड़क बता रहे है, जबकि ओड़िसा के कुसुमजोर पंचायत के सरपंच उदितप्रताप सिंग ज्योति ने बताया कि सड़क ओड़िसा के नक्शे में भी दिखा रहा है.. उदित के मुताबिक ओड़िसा बॉर्डर में बाग़पारा, चिनागुन पारा और मुंदेबाहाल पारा के करीब 400 लोग निवासरत है.. पांच साल पहले मैंने मेरे पहले कार्यकाल में पूर्व सरपंच का एनओसी लेकर मुरम का कार्य भी किया था.. अभी सड़क के लिए 2700 मीटर का 6 लाख रूपये का मुरमीकरण का काम स्वीकृत हुआ है.. हालांकि दोनों सरपंचों का दावा अधिकारियों के नतीजों के बाद ठंडे बस्ते में चला गया.. दोनों ने अधिकारियों के फैसले पर हामी भरकर आपसी सहमति से काम करने की बात पर हामी भी भरा…