रायपुर 26 मई 2023 :दूध के सही दाम न मिलने से महासमुंद जिले के गोड़बहाल गांव में पशुपालन लगभग खत्म हो रहा था, लेकिन वहां के सरपंच व ग्रामीणों ने हार नहीं मानी। सरपंच श्री सादराम पटेल ने पहल कर पांच समिति बनाया, दूध से बनने वाले उत्पादों के लिए कुछ ग्रामीणों को ट्रेनिंग दिलायी और आज ये सभी पनीर, खोआ, दही, पेड़ा और राबड़ी को बेचकर अच्छी कमाई कर रहे है।
पिथौरा में दुग्ध उत्पाद विक्रय केंद्र नाम से दुकान भी डाली है। गोड़बहाल गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया। इसके अलावा माटीकला, पेवर ब्लॉक के साथ महिला समूह वर्णित कम्पोस्ट के साथ ही स्थानीय बाज़ार की मांग अनुसार मसाले, पापड़, अचार, आदि सामग्रिया का उत्पादन कर अपनी आमदनी में अतिरिक्त इजाफा कर रही है
महासमुंद जिले के पिथौरा से तक़रीबन आठ किलोमीटर दूर गोड़बहाल गाँव में पुरुषों ने पाँच सहकारी समिति द्वारा बनायी। एक समिति में 70 ग्रामीण जुड़े है। इस समिति से जुड़े गोड़बहाल गाँव के ग्रामीण बताते हैं, हमारे गाँव में गाय भैस का दूध समिति अधिक दाम में ख़रीद रही है। समिति से जुड़े लोगों को फ़ायदा हो रहा है। वहीं दुग्ध उत्पाद सामग्री जो शुद्व पनीर बेच रहे वो 340 रुपए किलो, खोवा 320, पेड़ा 360, दही 70 और रबड़ी 340 रुपये किलो की दर से बेच रहे है। माह में सब खर्च के बाद 70 से 80 हजार का मुनाफ़ा हो रहा है।
कलेक्टर श्री निलेशकुमार क्षीरसागर ने डीएमएफ मद से समिति को 2000 लीटर का बल्क मिल्क कूलर उपलब्ध कराया गया है। इससे दूध ख़राब होने की चिंता से मुक्ति मिल गयी है। बिजली अचानक चली जाने पर यह कई घंटे काम करता है और दूध ख़राब नहीं होता है। कलेक्टर ने कहा है कि ज़िले की अधिकांश आबादी खेती किसानी से जुड़ी हुई है। दुग्ध उत्पादन को लेकर स्थिति बहुत अधिक मजबूत हुई है। ज़िले में बढ़ते दुग्ध उत्पादन को देखते हुए सभी पशुपालक खुश हैं। वहीं, उनकी आय बढ़ी है इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है।
पशु चिकित्सा के क्षेत्र में एन.जी.ओ. के माध्यम से जिले में गोवर्धन सेवा एवं एकीकृत पशुधन विकास केन्द्रो का संचालन किया जा रहा है जिससे पशुओं को उत्तम व समय पर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ नस्ल सुधार कार्य में भी अच्छे परिणाम मिल रहे है। भविष्य में इस सुविधा का अन्य क्षेत्रो में विस्तार किये जाने का प्रयास किया जाएगा। गौठान गोड़बहाल रिपा में दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र इसका उदाहरण है। यह ज़िला आकांक्षी ज़िला में शामिल है। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य विकास निगम ने हाथ बढ़ाया है। जो निश्चित तौर पर पशुपालकों के लिए मददगार साबित हो रहा है।