रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा में हुए रेल हादसे की सीबीआइ जांच की घोषणा की। रेल हादसे की गंभीरता और सिस्टम की लापरवाही के विपक्ष के आरोपों के बाद केंद्र सरकार चाहती है कि सच्चाई सबके सामने आए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे सबसे बड़ा रेल हादसा बताया था और षड्यंत्र की बात भी कही थी। उन्होंने कहा था कि ट्रेन में कवच सुरक्षा प्रणाली नहीं लगाई गई थी। अगर वह होता तो हादसा नहीं होता। रेलवे मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि सीबीआइ जांच के साथ ही रेलवे सुरक्षा आयोग की जांच भी जारी रहेगी, क्योंकि यह वैधानिक जांच की प्रक्रिया है।
वैसे यह पहली बार नहीं है कि किसी ट्रेन हादसे की जांच सीबीआइ से कराई जाएगी। इसके पहले भी 28 मई 2010 को हावड़ा से मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच भी सीबीआइ को सौंपी गई थी।यह घटना नक्सलियों के रेल पटरी उखाड़ देने के कारण बंगाल के खेमासोली एवं सरडीहा के बीच हुई थी। नक्सलियों ने विस्फोट कर पटरी उड़ा दी थी, जिसके चलते ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की पांच बोगियां डाउन लाइन से गुजर रही मालगाड़ी से टकरा गई थीं।
यही नहीं, एक अगस्त 1999 को गुवाहाटी जाने वाली अवध एक्सप्रेस और दिल्ली जाने वाली ब्रह्मपुत्र मेल बंगाल के दिनाजपुर जिले के गैसल में एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ गई थीं। हादसे में आतंकी कृत्य था या रेलवे की विफलता, इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी। जांच एजेंसी ने इसे कर्तव्य में लापरवाही का मामला माना था।
ओडिशा रेल हादसे की भी सीबीआइ जांच की अनुशंसा रेलवे का बड़ा निर्णय बताया जा रहा है। रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रेलवे का इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है। इसके साथ छेड़छाड़ जानबूझकर ही हो सकती है। उच्चस्तरीय जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी।
रेलवे का यह भी मानना है कि सुरक्षा तकनीक पहले की तुलना में काफी विकसित हो चुकी है। नई व्यवस्था गलती रहित (एरर प्रूफ) और पूरी तरह सुरक्षित है। फिर भी किसी बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
ट्रेनों को सीधी टक्कर से बचाने के लिए विकसित किए गए कवच पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। रेलवे बोर्ड सदस्य जया वर्मा ने दावा किया कि यह बहुत सुरक्षित प्रणाली है और इस पर हमें गर्व है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस हादसे में सिग्नल ग्रीन था, इसलिए कवच होता भी तो रिएक्ट नहीं करता। लगभग सौ मीटर दूरी पर मालगाड़ी थी, इसलिए इतनी जल्दी कवच क्या, दुनिया की कोई भी तकनीक इस हादसे को टाल नहीं सकती थी।
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