भोपाल | डेस्क : भोपाल से टिकट कटने पर मालेगांव विस्फोट की आरोपी और सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा है कि टिकट नहीं देने का निर्णय संगठन का है और उसका निर्णय सर्वोपरि होता है.
माना जा रहा है कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करना प्रज्ञा ठाकुर को भारी पड़ गया.
गौरतलब है कि प्रज्ञा टाकुर ने नाथूराम की प्रशंसा की थी और यहां तक कि संसद के भीतर नाथूराम को देशभक्त भी बताया था. हालांकि उनका बयान संसद की कार्रवाई से हटा दिया गया था.
नाथूराम को देशभक्त और महान बताने के उनके बयान के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान से पार्टी को अलग करते हुए लोकसभा में कहा था कि, “नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा जाना तो दूर अगर उन्हें देशभक्त माने भी जाने के बारे में कोई सोच रहा है तो इस सोच की हमारी पार्टी पूरी तरह निंदा करती है.”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उस समय ट्वीटर, अब एक्स पर लिखा था, “आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को देशभक्त बताया. ये भारतीय संसद के इतिहास में एक दुखद दिन है.”
पीएम नरेंद्र मोदी से मई 2019 में इससे जुड़ा सवाल पूछा गया था तब उन्होंने कहा था, ”गांधी जी या गोडसे के संबंध में जो भी बातें कही गई हैं, वे भयंकर ख़राब हैं. हर प्रकार से घृणा के लायक हैं. सभ्य समाज में इस तरह की भाषा नहीं चलती है. इस प्रकार की सोच नहीं चल सकती है. इसलिए ऐसा करने वालों को 100 बार आगे सोचना पड़ेगा. दूसरा, उन्होंने माफ़ी मांग ली अलग बात है. लेकिन मैं अपने मन से माफ़ नहीं कर पाऊंगा. मन से कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगा.”
भोपाल की टिकट कटने के बाद प्रज्ञा टाकुर ने कहा , ”मैंने कभी विवादित बयान नहीं दिया. जो कहा, सत्य कहा. राजनीति में रहकर अगर सत्य कहना ग़लत है तो मुझे लगता है कि सत्य कहने की आदत डाल लेनी चाहिए. जो सत्य हो उससे समाज को अवगत कराना चाहिए.”
उन्होंने कहा-”मीडिया वाले विवादित बयान कहते थे लेकिन जनता इसे सच मानती है. हमारी जानता ने हमेशा मुझे सच कहा. विरोधियों के लिए यह हथियार बना. कहीं अगर हमारे मानदंडों से अलग कोई शब्द हो गया है तो माननीय प्रधानमंत्री जी को यह कहना पड़ा कि मन से माफ़ नहीं करेंगे. उसके लिए मैं पहले ही क्षमा मांग चुकी थी.”
पीएम मोदी का उल्लेख करते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने कहा-”किसी के मन को ठेस पहुँचाने का मेरा कोई विचार नहीं रहता. प्रधानमंत्री मोदी जी के मन को कष्ट हुआ था, इसलिए उन्हें कहना पड़ा कि मन से माफ़ नहीं कर पाएंगे. मेरा इस प्रकार का कोई भाव नहीं था कि उनके मन को कष्ट पहुँचाऊं. उसके बाद मैंने कभी कष्ट पहुँचाया भी नहीं.”
टिकट कटने को लेकर प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ”टिकट नहीं देने का निर्णय संगठन का है और उसका निर्णय सर्वोपरि होता है. हमारे यहाँ संगठन ही अहम होता है. उसका निर्णय सहज स्वीकार्य होता है. आलोक शर्मा को मेरा आशीर्वाद और शुभकामनाएं हैं. मैंने 2019 में भी टिकट नहीं मांगा था लेकिन तब भी संगठन का ही फ़ैसला था कि मैं चुनाव लड़ूँ.”
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