रायपुर | संवाददाता: ट्वीटर पर सक्रिय 59.3 फीसदी लोगों का मानना है कि हालात ऐसे ही रहे तो छत्तीसगढ़ में अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 60-75 सीटें मिल सकती हैं. यानी इन हैंडल की राय में राज्य में फिर से कांग्रेस पार्टी की सरकार बन सकती है.
हालांकि 18.4 फीसदी लोगों ने केवल 05-25 सीटें मिलने की उम्मीद जताई है.
राज्य में अगले साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.
राज्य में विधानसभा की 90 सीटे हैं और इनमें से 71 सीटों पर कांग्रेस पार्टी काबिज है.
विपक्षी दल भाजपा के पास अभी केवल 14 सीटे हैं. वहीं 3 सीटों पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और 2 सीटों पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा है.
ट्वीटर पर एक पोल में 2830 ट्वीटर हैंडल ने वोट के सहारे अपनी राय दी है.
छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं.
अगर हालात ऐसे ही रहे तो सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी?
— Alok Putul (@thealokputul) September 29, 2022
इस पोल में पूछा गया था कि छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. अगर हालात ऐसे ही रहे तो सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी?
इस पोल में 59.3% हैंडल ने 60-75 सीटों पर अपनी मुहर लगाई है. वहीं 13.2% हैंडल ने कांग्रेस पार्टी को 45-60 सीटें मिलने की उम्मीद जताई है.
9.2% ट्वीटर हैंडल ऐसे हैं, जिन्होंने 25-45 सीटें मिलने की बात कही है. वहीं 18.4% हैंडल ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि कांग्रेस पार्टी को महज 05-25 सीटें मिलेंगी.
हालांकि ट्वीटर पोल की अपनी सीमा है और जाहिर है, छत्तीसगढ़ का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो इस ट्वीटर की दुनिया से बहुत दूर है. इसके अलावा चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव के दौरान राज्य की परिस्थितियों तक कई ऐसे मुद्दे ऐसे होंगे, जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे.
चतुर्थ विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के 49, कांग्रेस के 38, बहुजन समाज पार्टी के 1, निर्दलीय 1 विधायक थे.
इसी तरह तृतीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के 50, कांग्रेस के 38, बहुजन समाज पार्टी के 2 विधायक थे.
दूसरी विधानसभा के गठन के समय भारतीय जनता पार्टी के 50, कांग्रेस के 37, बहुजन समाज पार्टी के 2, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के1 विधायक थे.
प्रथम विधानसभा का जब गठन हुआ था, तब कांग्रेस पार्टी के पास 48, भारतीय जनता पार्टी के पास 36, बहुजन समाज पार्टी के 3, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के 1 और निर्दलीय 1 विधायक थे. इस समय राज्य के मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे.
अजीत जोगी के कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने पाला बदल लिया था. जब पहली विधानसभा का विघटन हुआ, तब कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या 48 से बढ़ कर 62 हो गई थी और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या 36 से घट कर 22 हो गई थी.
हालांकि इसके बाद हुए चुनाव में अगले तीन चुनाव यानी 15 सालों तक राज्य में भाजपा की सरकार बनी रही.
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