रायपुर। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति में डिलिस्टिंग की मांग तेज होती जा रही है। पिछले कुछ सालों में प्रदेश भर में प्रदर्शन करने के बाद अब राजधानी में एक महारैली का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हजारों की संख्या में जनजाति के नागरिक लोग शामिल होंगे।
जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक गणेश राम भगत ने आज राजधानी में आयोजित प्रेसवार्ता में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रविवार 16 अप्रैल को राजधानी के VIP रोड स्थित राम मंदिर के सामने से इस भव्य रैली की शुरुआत की जाएगी। भगत ने बताया कि इस रैली के माध्यम से जनजाति समाज की यह मांग है कि जिन नागरिकों ने अपनी मूल संस्कृति और अपने मूल धर्म को छोड़ कर कथित विदेशी धर्म (जैसे ईसाई या इस्लाम) अपना लिया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से तत्काल बाहर किया जाये, और इसके लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन किया जाये।
गणेश राम भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित भारत भर में धर्मान्तरण स्वतंत्रता से पूर्व से ही अनुसूचित जनजातियों के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। धर्मान्तरण जनजाति समुदाय को एक धीमे जहर की तरह प्रभावित कर रहे हैं और यह उनके विश्वास, संस्कृति, रीति रिवाजों और अनुष्ठानों को समाप्त कर रहे हैं।
भगत ने कहा कि जनजाति समाज को आरक्षण इसलिए दिया गया है, ताकि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्तर को ऊंचा किया जा सके, मगर जनजाति आरक्षण का मूल उद्देश्य तब अर्थहीन हो जाता है, जब जनजाति अपने मूल विश्वास और संस्कृति को अस्वीकार कर दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाता है। सवाल यह उठता है कि जब कोई व्यक्ति अपने समुदाय की ही पहचान खो देता है तो वह अपनी मूल पहचान की रक्षा और उसे बनाये रखने के लिए दिए गए लाभों को उठाने का पात्र कैसे हो सकता है?
भाजपा नेता गणेश राम भगत से जब मिडिया ने मंत्री कवासी लखमा द्वारा आदिवासी वर्ग को हिन्दुओं से अलग धर्म कोड दिलाने की मांग करने संबंधी सवाल उठाया तब भगत ने कहा कि लखमा मेरे अच्छे मित्र हैं, मगर वे झूठ बोल रहे हैं कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं। जब आदिवासी समाज बूढा देव याने शंकर भगवन की पूजा कर रहा है तब वह गैर हिन्दू कैसे हुआ?
राजधानी रायपुर स्थित स्वदेशी भवन के सभागार में जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से आयोजित इस प्रेस वार्ता में गणेश राम भगत के साथ ही पूर्व विधायक भोजराज नाग, रोशन प्रताप सिंह और संगीता पोयम मीडिया से मुखातिब हुए।
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