रायपुर। प्रदेश में शिक्षकों के तबादले के लिए जो स्थानांतरण नीति सरकार ने बनाई थी उसका जिलों में जमकर उल्लंघन हुआ है। जिला और राज्य स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) द्वारा नियम-कायदों को ताक पर रखकर शिक्षकों की तबादला सूची तैयार की गई। इसका नतीजा यह है कि अकेले हाई कोर्ट ने 235 शिक्षकों के तबादले निरस्त करने का आदेश दिया है। इसके अलावा पिंगुआ कमेटी ने अपनी जांच में कितने तबादलों को नियम विरुद्ध पाया इसकी जानकारी सामने नहीं आयी है।
इस बार शिक्षकों के ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर गड़बड़िया हुई है। कई तबादलों की वजह से स्कूल शिक्षक विहीन हो गये, तो कई स्कूल एकल शिक्षकीय हो गये। इसके अलावा परीविक्षा अवधि वाले शिक्षकों का भी तबादला कर दिया गया। इस मामले में कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है।
शिक्षा विभाग में यह पहली बार हुआ है जब तबादले के बाद सैकड़ों की संख्या में स्कूल शिक्षकों ने हाई कोर्ट की शरण ली। कोर्ट में सुनवाई होती रही और आदेश होते रहे। इधर सरकार ने पिंगुआ कमेटी बनाकर इसके समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करने का निर्देश शिक्षकों को दिया। हाई कोर्ट जाने वाले शिक्षकों की शिकायत लगभग एक प्रकार की ही थीं, कि उनका तबादला स्थानांतरण नीति का उल्लंघन करते हुए किया गया है। ऐसी ही मिलती-जुलती 21 याचिकाओं को एक साथ क्लब करते हुए कोर्ट ने सुनवाई कि और शासन से जवाब माँगा।
हाई कोर्ट की ओर से जारी नोटिस के जवाब में जो जानकारी सामने आयी है वह काफी चौंकाने वाली है। उसके मुताबिक स्थानांतरण आदेश सितंबर 2022 में 235 शिक्षकों के स्थानांतरण त्रुटिपूर्ण हैं। जिसके कारण 172 विद्यालय एकल शिक्षकीय 19 विद्यालय शिक्षक विहीन हुए है। 20 शिक्षकों का स्थानांतरण परिवीक्षा अवधि में, 15 शिक्षकों का स्थानांतरण ऐसी संस्थाओं में हुआ है, जहां पद रिक्त नहीं है। इसी प्रकार 03 शिक्षकों का स्थानांतरण ई संवर्ग से टी संवर्ग तथा 05 शिक्षकों का स्थानांतरण टी संवर्ग से ई संवर्ग और 01 शिक्षक का स्थानांतरण छात्र-शिक्षक अनुपात के विपरीत हुआ है।
प्रदेश भर में जी 235 शिक्षकों का नियम विरुद्ध तबादला किया गया है, उनमें से कुल 161 शिक्षकों को कार्यमुक्त किया जा चुका है, जबकि 74 शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किये जाने के कारण वे पूर्व संस्था में पदस्थ रहकर कार्य कर रहे हैं। उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा याचिका कमांक 1955 / 2023 एवं अन्य में 21 अप्रैल 2023 को पारित निर्णय में 235 तबादलों को निरस्त करते हुए, संशोधित आदेश जारी करने के लिए निर्देशित किया है। न्यायाधीश राकेश मोहन पांडेय ने अपना फैसला सुनाते हुए समस्त दिशानिर्देशों का महीने भर के भीतर पालन करने को कहा है। त्रूटिपूर्ण तबादले को लेकर डीपीआई ने सभी संभाग आयुक्त से प्रस्ताव मांगा है।
बता दें कि 235 शिक्षकों का आंकड़ा तो विभाग ने हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था। इसके अलावा पिंगुआ कमेटी के समक्ष भी सैकड़ों की संख्या में शिक्षकों ने अपने तबादलों को लेकर आपत्ति जताई है। कमेटी ने समीक्षा करके सभी मामलों में अलग-अलग फैसला करते हुए संबंधित जिलों को पत्र प्रेषित कर दिया है। इस आंकड़े को विभाग ने फ़िलहाल आम नहीं किया है, अन्यथा नियम विरुद्ध तबादलों की फेहरिस्त और लंबी होती।
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