नई दिल्ली। डेस्कः अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर विद्युत क्षेत्र की खोज की है. इस क्षेत्र को पृथ्वी के लिए उसके गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय क्षेत्रों जितना ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस क्षेत्र को ‘एम्बिपोलर विद्युत क्षेत्र’ के रूप में जाना जाता है. वैज्ञानिकों ने 60 साल पहले पृथ्वी पर ऐसे क्षेत्र की परिकल्पना की थी.
नासा के सबऑर्बिटल रॉकेट से प्राप्त अवलोकनों का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पहली बार ग्रह-व्यापी विद्युत क्षेत्र को सफलतापूर्वक मापा है, जिसे पृथ्वी के लिए उसके गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय क्षेत्रों जितना ही मौलिक माना जाता है.
वैज्ञानिकों ने 60 साल पहले पहली बार यह अनुमान लगाया था कि यह हमारे ग्रह के वायुमंडल को पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों से ऊपर निकलने में मदद करता है.
नासा के एंड्योरेंस मिशन के रॉकेट से माप ने एंबिपोलर क्षेत्र के अस्तित्व की पुष्टि की है और इसकी ताकत को मापा है.
इससे वायुमंडलीय पलायन को बढ़ावा देने और हमारे आयनमंडल-ऊपरी वायुमंडल की एक परत को अधिक व्यापक रूप से आकार देने में इसकी भूमिका का पता चलता है.
हमारे ग्रह के वायुमंडल की जटिल गतिविधियों और विकास को समझने से न केवल पृथ्वी के इतिहास के बारे में सुराग मिलते हैं, बल्कि हमें अन्य ग्रहों के रहस्यों के बारे में भी जानकारी मिलती है.
साथ ही यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि कौन से ग्रह जीवन के लिए अनुकूल हो सकते हैं.
यह शोधपत्र 28 अगस्त 2024 को नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
1960 के दशक के उत्तरार्ध से पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से उड़ान भरने वाले अंतरिक्ष यान ने हमारे वायुमंडल से अंतरिक्ष में प्रवाहित होने वाले कणों की एक धारा का पता लगाया था.
सिद्धांतकारों ने इस बहिर्वाह की भविष्यवाणी की थी, जिसे उन्होंने ‘ध्रुवीय हवा’ नाम दिया, जिससे इसके कारणों को समझने के लिए शोध को बढ़ावा मिला.
हमारे वायुमंडल से कुछ मात्रा में बहिर्वाह की उम्मीद थी. तीव्र, बिना फ़िल्टर किए गए सूरज की रोशनी से हमारी हवा से कुछ कण अंतरिक्ष में निकल सकते हैं. जैसे पानी के बर्तन से भाप निकलती है. लेकिन देखी गई ध्रुवीय हवा अधिक रहस्यमय थी.
इसके भीतर कई कण ठंडे थे, उनके गर्म होने के कोई संकेत नहीं थे, फिर भी वे सुपरसोनिक गति से यात्रा कर रहे थे.
मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर में एंड्यूरेंस के मुख्य अन्वेषक और पेपर के मुख्य लेखक ग्लिन कोलिन्सन ने कहा कि ‘कुछ तो इन कणों को वायुमंडल से बाहर खींच रहा होगा.’ वैज्ञानिकों को संदेह है कि अभी तक खोजा नहीं गया विद्युत क्षेत्र काम कर रहा हो सकता है.
उप-परमाणु पैमाने पर उत्पन्न होने वाला परिकल्पित विद्युत क्षेत्र अविश्वसनीय रूप से कमज़ोर होने की उम्मीद थी, जिसका प्रभाव केवल सैकड़ों मील की दूरी पर ही महसूस किया जा सकता था. दशकों तक, इसका पता लगाना मौजूदा तकनीक की सीमाओं से परे था.
2016 में कोलिन्सन और उनकी टीम ने एक नए उपकरण का आविष्कार करने का काम शुरू किया, जिसके बारे में उन्हें लगा कि यह पृथ्वी के उभयध्रुवीय क्षेत्र को मापने में सक्षम है.
उभयध्रुवीय क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है, जो ऊपरी वायुमंडल में एक कमजोर विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों को अंतरिक्ष में उछाल सकता है. विद्युत क्षेत्र ने हमारे ग्रह के विकास का ऐसे आकार दिया होगा, जिसका अभी तक पता नहीं चला है.
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