अनिल गुप्ता@दुर्ग। जिले में 31 मई की रात ओम प्रकाश साहू के अपहरण और फिर हत्या के मामले का खुलासा पुलिस द्वारा कर लिया गया है। पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र के मुरूम खदान से मिले शव के बाद पुलिस ने तीन आदतन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हत्या रुपए के लेनदेन को लेकर की गई थी। उधारी रकम देने नही देने पर तीन लोगो ने मिलकर सुनियोजित तरीके से ओमप्रकाश साहू की निर्मम हत्या कर दी थी।
पुलिस कप्तान शलभ सिन्हा ने इस अंधे कत्ल के मामले का पर्दाफाश करते हुए बताया है, की ,मृतक ओम प्रकाश साहु और आशीष तिवारी के बीच रुपe के लेन देन को लेकर विवाद था। 31 मई की शाम आशीष ने ओम प्रकाश साहु को अपने घर फोन करके बुलाया था। इसके बाद पैसों को लेकर दोनो के बीच विवाद हुआ। विवाद इतना बढ़ गया,की आशीष और उसके दो दोस्त रजनीश पांडेय और अनुज तिवारी ने ने मिलकर पहले उसके साथ जमकर मारपीट की। और फिर गला दबाकर हत्या कर दी। लाश को ठिकाने लगाने के लिए सभी आरोपियों ने जिस स्कूटी से ओम प्रकाश आया था, उसी से उसके शव को बांधकर हाथखोज के मुरूम खदान में फेंक दिया। बॉडी को डिस्पोज करने के लिए आरोपियों ने बकायदा दुकान से आरी भी खरीदी थी। जिससे मृतक के पैर को काटा गया था। 1जून की सुबह मृतक की पत्नी के पास अज्ञात व्यक्ति का फोन आया, था, और ओम प्रकाश साहु को छोड़ने के एवज में 30 लाख रुपयों की मांग की गई थी। मृतक की पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने जब मामले में गंभीरता से जांच शुरू की। तब देर शाम को मृतक का शव भी बरामद किया गया। और जांच के बाद सभी आरोपियों को ढूंढ निकाला गया है।
एसपी शलभ सिन्हा ने यह भी बताया है कि आरोपी आशीष तिवारी पूर्व में लूट में मामले में जेल की सजा काट चुका है। मृतक भी इसी दौरान NDPS के जुर्म में जेल में निरुद्ध था। उसी दौरान उनकी जान पहचान हुई। और डेढ़ लाख रुपयों के पुराने लेन देन के कारण मामला हत्या तक जा पहुंचा। पहले मृतक को खाने पीने के लिए घर बुलाया गया। इसके बाद पहले अपहरण किया गया। फिर मारपीट की गई। और इसके बाद निर्मम हत्या की गई। इसके बाद महादेव ऑनलाईन सट्टे से जुड़ी मनगढ़ंत झूठी कहानी बना कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया गया। ऑनलाइन सट्टा कारोबारी मोहमद सद्दाम के नाम का इनवाल्व किया गया। लेकिन पुलिस की जांच में उससे जुड़ा कोई लिंक नही मिला है। और न ही सुपारी किलिंग की कोई बात सामने आई है।
दुर्ग पुलिस की जांच के अनुसार ये हत्याकांड सिर्फ उधारी रुपयों को लेकर की गई थी, लेकिन आरोपी इसे महादेव ऑनलाईन सट्टे से जोड़कर पुलिस की जांच को भटकाने का प्रयास किया। जिसके कारण सट्टा किंग मोहम्मद सद्दाम को इस मामले में आरोपियों द्वारा जोड़ दिया गया। लेकिन पुलिस की जांच में सद्दाम का कोई लिंक नही मिला। लेकिन सट्टा गैंबलिंग में उसके इसवाल्व होने के पुख्ता प्रमाण मिले