गोपाल शर्मा@जांजगीर चांपा। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बलौदा में सामने आया है। परिजनो का आरोप है कि यहां पेट दर्द के मरीज को सांप काटने का एंटीडोज लगाकर घोर लापरवाही बरती गई। इससे मरीज के पैर का नस पूरी तरह से ब्लाक हो गया और सुन्न हो गया। इसकी जानकारी चिकित्सक, कंपाउंडर सहित नर्स को दी। जानकारी पाते ही उन्हें रेफर कर चलता कर दिया गया। बिलासपुर और रायपुर के अस्पताल का चक्कर लगाने के बाद भी आखिरकार मरीज के पैर को काटना पड़ गया। इसके बाद भी उसकी हालत इतनी नाजुक है कि वह जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है। इससे आक्रोशित परिजनों ने समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बलौदा के सामने जमकर प्रदर्शन किया। अफसरों द्वारा जांच करने व समझाइश के बाद परिजनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पुनः मरीज को भर्ती कर दिया।
20 जून की रात पेट दर्द से परेशान ग्राम झपेली का मरीज सीताराम बिंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बलौदा आता है, डॉक्टर उसे भर्ती कर देते हैं। 21 जून को ठीक उसी वार्ड में एक सांप काटने वाले मरीज को भी एडमिट किया जाता है। इसके बाद जब इंजेक्शन लगाने की बारी आती है तो इंजेक्शन लगाने वाले ने सांप काटने वाले एंटीडोज को मरीज सीताराम जो पेट दर्द से व्याकुल थे उसे लगा दिया जाता है। इसका परिणाम यह हुआ कि सीताराम का पैर 10 मिनट में ही सुन्न हो गया नस ब्लॉक हो गई। इसकी जानकारी होते ही जिम्मेदार चिकित्सक ने जिम्मेदारी निभाने की बजाए मरीज को रेफर कर चलता कर देना उचित समझा। इस संबंध में चिकित्सक से पूछे जाने पर वह इतनी उतावली हो गई थी मानो वह इंजेक्शन उनके या स्टाप द्वारा नहीं मीडिया कर्मी के द्वारा लगाया गया हो। ठीक है ऐसा ही रटा रटाया जवाब सीएचसी के होनहार बीएमओ तिवारी द्वारा दिया गया। जिसमें उन्होंने कहा की हमारे यहां से मरीज चला गया था अब वह कहां इलाज कराया है कैसे कराया है इसकी कोई जवाबदेही नहीं है और उल्टा मीडिया पर जबरिया मामले को हाइलाइट करने का आरोप भी मड दिया। ऐसे में जाहिर है कि सरकार चाहे लाख दावे करें, मगर राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली किसी से छिपी नहीं है न ही विभाग के नुमाइंदों की करतूत।