गोपाल शर्मा@जांजगीर। बाल विवाह को रोकने जागरुकता अभियान चलाए जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों आज भी यह कुप्रथा कायम है। प्रशासन के हस्तक्षेप से अधिकतर मामले तो रुक जाते हैं लेकिन कई मामलों में नाबालिगों का विवाह कार्य संपन्न हो जाता है। ऐसा ही एक मामला जांजगीर जिले के ग्राम मेउ में सामने आया जहां एक 12 वर्षीय किशोरी का विवाह 22 वर्षीय युवक से कराया जा रहा था। मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और बाल विवाह को रुकवा दिया।
बाल विवाह के परिणाम कितने घातक होते है इस बात की जानकारी सभी को है बावजूद इसके ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बाल विवाह की कुप्रथा कायम है। हालांकि प्रशासन अपने दायित्वों का निर्वहन बखुबी ढंग से कर रहा है। ऐसा ही कुछ जांजगीर जिले के ग्राम मेउ में देखने को मिला जहां एक 12 साल की नाबालिग लड़की का विवाह 22 वर्षीय युवक से होने जा रहा था। वधु पक्ष के घर बारात पहुंच चुकी थी तभी प्रशासन को इस बात की भनग लग गई। तत्काल महिला व बाल विकास विभाग,चाईल्ड लाईन और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और विवाह को रुकवा दिया। प्रशासन की टीम ने दोनों ही पक्षों को बाल विवाह के दुष्परिणाम बताए जिसके बाद दोनों पक्षों के परिजन मान गए और विवाह को रोक दिया।
बाल विवाह कानूनन अपराध है और संविधान में इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। बावजूद इसके लोग मानने को तैयार नहीं और कच्ची उम्र में ही विवाह कराकर लड़का और लड़की दोनों का जीवन बर्बाद करने में लगे है। शासन ने लड़की के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष जबकि लड़के के विवाह की आयु 21 वर्ष निर्धारित की है। इसी के अनुसार विवाह संस्कार कार्य संपन्न कराया जाना है। लोगों को इस बात की जानकारी है बावजूद इसके उनके द्वारा इस तरह के कार्य कराए जाते है। बहरहाल प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद बाल विवाह रुक गया नहीं तो काफी कम उम्र में ही बालिका वधु बन जाती।