नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ डाक्यूमेंट्री जारी कर विवादों में आए बीबीसी के दिल्ली व मुंबई स्थित कार्यालय में आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की कार्रवाई की गई। लगातार 60 घंटे तक चली इस कार्रवाई का आज आयकर विभाग ने खुलासा किया है। आयकर विभाग का मानना है कि भारत में बीबीसी द्वारा परिचालन से दिखायी जाने वाली आय और लाभ उसके परिचालन के आकार-प्रकार से मेल नहीं खाते।
बीबीसी के नयी दिल्ली और मुंबई के परिसरों पर आयकर विभाग की बहुप्रचारित सर्वे की कार्रवाई से जुड़े एक बयान में विभाग ने कहा है कि यह समूह अंग्रेजी, हिंदी और विभिन्न अन्य भारतीय भाषाओं में प्रसारण सामग्री के विकास, विज्ञापन, बिक्री और बाजार समर्थन सेवाओं आदि के कारोबार में लगा हुआ है। इसमें कहा गया है कि सर्वे से दिखता है कि इस मीडिया हाउस की अंग्रेजी के अलावा विभिन्न भारतीय भाषाओं की सामग्री का उपभोग काफी बड़ा है लेकिन समूह की विभिन्न इकाइयों द्वारा दिखाई गयी आय और लाभ भारत में उनके परिचालनों के हिसाब से मेल नहीं खाती।
गौरतलब है कि बीबीसी ने पिछले दिनों एक बयान में कहा था कि भारत के आयकर विभाग की टीमें ने दिल्ली और मुंबई में उसके परिसरों पर सर्वे की कार्रवाई की है और बीबीसी के अधिकारी भारतीय जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं। बीसीसी ने उम्मीद जाहिर की थी कि मामले का समाधान हो जाएगा। इस कार्रवाई को कई राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बनाया है। आयकर विभाग ने कहा है कि इस मीडिया हाउस के कर्मचारियों ने सर्वे के दौरान रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में हीलाहवाली की जबकि सर्वे टीम ने यह सावधानी बरती कि मीडिया हाउस के नियमित प्रसारणों में व्यवधान न हो।
विभाग ने कहा है कि इस विदेशी मीडिया हाउस (बीबीसी) के खिलाफ सर्वे में कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिनसे संकेत मिलता है कि इसकी इकाइयों के ‘रेमिटेन्स’ पर कर नहीं चुकाया है और उसे भारत में इस समूह की इकाइयों की आय के विवरण में नहीं दिखाया गया है।
विभाग के अनुसार सर्वे से यह भी जाहिर हुआ है कि इस समूह द्वारा दूसरे देशों में काम करने वालों की सेवाओं के लिए भुगतान को उसकी भारत की इकाइयों द्वारा किया गया। ऐसे भुगतान पर भारत में विदहोल्डिंग कर (टीडीएस) काटने का प्रावधान है, पर समूह द्वारा इस प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया।
आयकर विभाग के इस सर्वे में समूह की दूसरे देशों की इकाइयों के साथ हुए लेन-देन के सौदों में ट्रांसफर प्राइसिंग संबंधी दस्तावेज नियमों के अनुसार तैयार नहीं किये गये।
विभाग ने कहा है कि उसकी कार्रवाई में कर्मचारियों के बयान, डिजिटल सामग्री और दस्तावेजों के रूप में इस मीडिया हाउस के विरुद्ध कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, जिनका आगे और परीक्षण किया जायेगा। बयान के अनुसार उसने केवल उन्हीं कर्मचारियों के बयान लिये हैं, जिनकी भूमिका मुख्य रूप से वित्त, सामग्री के विकास और प्रोडक्शन संबंधी अन्य कार्यों में महत्वपूर्ण मानी गयी।
विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यद्यपि विभाग ने केवल महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बयान ही दर्ज करने की सावधानी बरती है, पर देखा गया कि इस समूह के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे कर्मचारियों द्वारा दस्तावेजों और समझौताें के रिकार्ड उपलब्ध कराने में हीलाहवाली की गयी। बयान में कहा गया है कि समूह के ऐसे रवैये के बावजूद सर्वे का काम इस तरह किया गया कि इस समूह के मीडिया और चैनल के काम में कोई व्यवधान न हो।