रायपुर। विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान हंगामा हुआ। यहां पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और आबकारी मंत्री कवासी लखमा के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई। इस दौरान शोर-शराबे, और हंगामे की वजह से सदन की कार्रवाई दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन में चर्चा के दौरान भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की विधानसभा में बहुमत का आपातकाल है। सदन में विपक्षी खड़े होकर बोल नहीं सकते। मंत्री खड़े होकर टोकते हैं। यहां हत्या पर चर्चा नहीं हो सकती, बेरोजगारों को लेकर चर्चा नहीं हो सकती।
बृजमोहन ने कहा कि जब सरकार संविधान को नहीं मानती फिर राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा कराने का क्या औचित्य? अनुच्छेद 63 के तहत राज्यपाल को नोटिस जारी नहीं की जा सकती। सरकार को शर्म आना चाहिए कि राज्यपाल के विरुद्ध याचिका लगाई गई। संसदीय कार्यमंत्री रवींद्र चौबे ने कहा- किसे शर्म आनी चाहिए? हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया था। राज्यपाल के अभिभाषण पर जिन्होंने कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव रखा, उन्होंने ही राज्यपाल को बीजेपी का एजेंट बताया था। ये सरकार बहुमत के बोझ से चरमरा गई है। अपने ही बोझ से दब चुकी है। कलेक्टरों और एसपी को निर्देश है कि किस विधायक का काम करना है और किसका नहीं करना है। संस्कृति की बड़ी बड़ी बात की जा रही थी, बस्तर में क्या हो रहा है? बस्तर में बुजुर्गों को दफऩाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति आदिवासी संस्कृति है। कवर्धा में कल एसपी समेत 25 पुलिसकर्मियों का सिर फूटा है।
बृजमोहन ने कहा कि क्या हो रहा है बस्तर में, श्मशान घाट में। बुजुर्ग को दफनाने नहीं दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति आदिवासी है। मंत्री कवासी लखमा ने बस्तर के मुद्दे पर बृजमोहन के दावे को खारिज किया। लखमा ने कहा बस्तर में कौन रहता है। मैं कि तुम। मेरे बाप दादा वहीं पैदा हुए और रहे। इस पर बृजमोहन ने कहा मैं तुम से ज्यादा बस्तर घुमा हूं। लिस्ट दे सकता हूं। इस पर सदन के अंदर लखमा और बृजमोहन के बीच नोकझोंक होता रहा। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने इसपर आपत्ति की। उन्होंने ऐसे सदन चलेगा क्या। सदन में गहमागहमी के बीच कार्रवाई दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
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