नई दिल्ली। बाजार में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के स्टॉक को निकालने के बावजूद गेहूं के दाम ऊंचे बने हुए हैं। ऐसे मे केंद्र सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए भारत भर में ई-नीलामी के जरिये थोक ग्राहकों को गेहूं की नीलामी 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य पर करने का फैसला किया है। इसके अलावा सरकार ने ढुलाई शुल्क को भी हटा दिया है।
इसके साथ ही सरकार ने नाफ़ेड, नेशनल कोऑपरेटिव कंज़्यूमर्स फ़ेडरेशन (NCCF) और केंद्रीय भंडार के लिए एफसीआई के गेहूं का दाम 23.50 रुपये से घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है। इन संस्थानों को गेहूं को आटे में बदलकर 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचने को कहा गया था। अब उन्हें यह आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचने को कहा गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने पिछले महीने एलान किया था कि गेहूं और आटे के दाम पर लगाम लगाने के इरादे से वो अपने बफ़र स्टॉक से ‘खुले बाज़ार में बिक्री की योजना (OMSS)’ के तहत 30 लाख टन गेहूं खुले बाज़ार में उतारेगी
कृषि मंत्रालय की इकाई एगमार्केट के आंकड़ों के अनुसार आठ जनवरी को गेहूं के भाव 2788 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। पिछले साल की तुलना में ये करीब 20 फीसदी अधिक है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खुदरा बाजार में गेहूं के भाव करीब 31.17 रुपये प्रति किलो तक रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15.76 फीसदी ज्यादा है। वहीं गेहूं का आटा 37.03 रुपये प्रति किलोग्राम है। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 18.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वहीं छत्तीसगढ़ में तो गेहूं और आटे की कीमत तो इससे भी ज्यादा है। सरकार द्वारा कीमतें कम किये जाने के बाद उममीत की जा रही है कि जल्द ही गेहूं और आटे की कीमत में गिरावट आएगी।
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