महिलाएं अक्सर कहती हैं कि उनके घरेलू कामकाज की कोई कीमत नहीं आंकी जाती। बात सही भी है…! वे दिन पांच से सात घंटे घरेलू कामकाज में व्यतीत करती हैं, वो भी बिना किसी पगार के। खाना बनाने, साफ-सफाई, कपड़ा धोने, बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के सामाजिक कार्यों में भी पुरुषों के साथ बराबरी से शामिल होती हैं। जहां तक जीवकोपार्जन संबंधी काम की बात है तो उसमें महिलाओं और पुरुषों के समय के उपयोग में अंतर है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद के एक प्रोफेसर द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, 15 से 60 वर्ष की कामकाजी आयु वर्ग की महिलाएं बिना वेतन लिए घरेलू काम पर पुरुषों द्वारा 2.8 घंटे खर्च करने की तुलना में 7.2 घंटे बिताती हैं। इतना ही नहीं टाइम यूज सर्वे पर आधारित शोध में कहा गया है कि मजदूरी कर कमाने वाली महिलाएं घर की सफाई, भोजन तैयार करने और देखभाल करने जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मजदूरी कर कमाने वाले पुरुषों की तुलना में घरेलू काम पर दोगुना समय खर्च करती हैं।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद के प्रोफेसर नम्रता चिंदारकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि ‘टाइम यूज डेटा: ए टूल फॉर जेंडर पॉलिसी एनालिसिस’ के जरिए पहली बार यह पता लग सका कि भारत में महिलाएं घरेलू काम पर कितना समय खर्च करती हैं। औसतन, भारतीय महिलाएं अपने दैनिक समय में से 7.2 घंटे खर्च करती हैं। ऐसे काम के लिए जबकि पुरुष 2.8 घंटे खर्च करते हैं आईआईएमए की प्रोफेसर नम्रता चिंदारकर ने पीटीआई को बताया।