नई दिल्ली। मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू हमेशा से भारत विरोधी बयान देते आए हैं. उन्होंने वादा किया था कि वो मालदीव से भारतीय सैनिकों को वापस भेज देंगे. पद ग्रहण करने के बाद भारत विरोधी माने जाने वाले मुइज्जू ने भारत से जुड़ी मालदीव की दशकों पुरानी परंपरा भी तोड़ दी है.
रविवार को मुइज्जू तुर्की के लिए रवाना हुए. इसी के साथ ही मुइज्जू ने मालदीव की वह परंपरा भी तोड़ दी है जिसमें मालदीव का नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा में भारत आता था. चीन के समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू का बतौर राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत न आकर तुर्की जाना यह दिखाता है कि भारत को लेकर मालदीव के रुख में कितना बड़ा बदलाव आया है. भारत को लेकर मुइज्जू का रुख बेहद सख्त रहा है. राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू ने वादा किया था कि वो मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को देश से बाहर भेज देंगे. जीत के बाद भी मुइज्जू अपने इस रुख पर कायम हैं हालांकि, उनके तेवर अब थोड़े नरम पड़ते दिख रहे हैं. हाल ही में समाचार एजेंसी एएफपी को दिए इंटरव्यू में मुइज्जू ने कहा था कि उनका देश भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझने के लिए बहुत छोटा है. उन्होंने कहा था कि मालदीव भारत और चीन सहित सभी देशों के साथ मिलकर काम करेगा.
उन्होंने कहा था, ‘मालदीव भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझने के लिए बहुत छोटा है. मुझे इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि मैं मालदीव की विदेश नीति में इस तरह की दुश्मनी शामिल करूं. हम भारत, चीन समेत सभी देशों के साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं.’