राजनांदगांव। रानी लक्ष्मी बाई आत्मरक्षा योजना के नाम से केंद्र सरकार की योजना में जिले के शिक्षा विभाग में बड़ा खेल हो रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में स्कूली छात्राओं को सशक्तिकरण एवं मजबूत बनाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा योजना के तहत जिले के मीडिल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की बालिकाओं को कराटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें मीडिल स्कूल और उच्चतर माध्यमिक शाला के छात्राओं को कराटे प्रशिक्षण देने के लिए पांच-पांच हजार दिया जा रहा है। इसके लिए किसी ब्लैक बेल्ट धाराक प्रशिक्षक को ही प्रशिक्षण देने की अनुमति है और वह भी महिला शिक्षक की निगरानी में यह प्रशिक्षण देना अनिवार्य है, लेकिन जिले में जिसे यह कमीश्न के चक्कर में ठेका दिया गया है, वह थोक के भाव में ऐसे लोगों को काम पर रखा है, जिसे कराटे का क भी नहीं आता है और यह सब कमीश्न का खेल है, एक व्यक्ति को दस सरकारी स्कूलों का ठेका दिया गया है और उसे एक स्कूल में सिर्फ 30 मिनट प्रशिक्षण देना है, जिसके लिए उसे सिर्फ दो हजार मे ठेका दिया गया है, यानि वह व्यक्ति मीडिल और हायर सेकेंडरी दोनों स्कूलों के छात्राओं को सिर्फ दो हजार में प्रशिक्षण दे रहा है और बाकी आठ हजार मुख्य ठेकेदार और जिला शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों में बंट रहा है। इस प्रकार जिला शिक्षा विभाग से कराटे का खेल खेला जा रहा है।
केन्द्र सरकार की योजना खेलगढ़िया का मामला अभी ठंडा हुआ ही नहीं हुआ है कि शिक्षा विभाग में एक और घोटाला उजागर हो गया, जिसको लेकर छत्तीसगढ़ पैरेंटस एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने समग्र शिक्षा विभाग के प्रबंध संचालक को पत्र लिखकर जिला शिक्षा अधिकारी राजेश सिंह को निलंबित कर इस मामले की विस्तृत जांच कराने और रकम की वसूली कराने की मांग की गई है।
श्री पॉल का कहना है कि जिस स्कूल में जिस कराटे शिक्षक को कराटे सिखाने भेजा गया है, उसकी सूची प्रधान पाठकों और प्राचार्यो से ली जाए और यह देखा जाए कि क्या वह ब्लैकबेल्ट धाराक है अथवा नहीं और उसे कितना पैसा दिया जा रहा है, उसकी नियुक्ति किसने की है, इन सभी पहलू की विस्तृत जांच कर सभी कमीश्नखोरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही कर रकम की वसूली किया जाना चाहिए।
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