राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने के महत्व को रेखांकित करते हुए सोमवार को कहा कि भारत की भाषाओं को प्रोत्साहित करके विश्व स्तरीय नए ज्ञान एवं विज्ञान का सृजन संभव है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के 36वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा कि जिन छात्रों ने डिग्रियां, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्राप्त किये हैं, उनमें से 55 प्रतिशत महिलाएं हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि विश्वविद्यालय में डिग्रियां, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्राप्त करने वालों में 55 प्रतिशत लड़कियां हैं। आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्रों में आधे से अधिक लड़कियां हैं।” उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा देने में इग्नू की सराहनीय भूमिका रही है। मुझे यह जानकर विशेष प्रसन्नता हुई है कि कुल विद्यार्थियों में से करीब 50 प्रतिशत विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से हैं, जिसमें 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की प्रगति को देखकर उन्हें काफी प्रसन्नता हो रही है। मालूम हो कि सोमवार को इग्नू के 2,79,918 छात्रों ने डिग्रियां, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्राप्त किए। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर 50 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही भारतीय भाषाओं में शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में अन्य महत्वपूर्ण सुझावों के साथ साथ भारतीय परंपराओं के प्रति गौरव का अनुभव करने तथा भारतीय भाषाओं को अध्ययन का माध्यम बनाने पर जोर दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने से बड़े पैमाने पर विश्व स्तरीय नवीन ज्ञान-विज्ञान का सृजन संभव हो
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