धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और माता लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन मुख्य रूप से फलदायी होता है। इसलिए पूरे श्रद्धा भाव से माता का पूजन करें और उन्हें खीर का भोग अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी के पूजन का अलग महत्व है।
यह समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से निकलने वाले अमृत से मिलकर बनी खीर का भोग व्यक्ति को निरोगी करने के साथ कई कष्टों से मुक्ति दिलाता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा का महत्व और ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी रात्रि भर भ्रमण करती हैं और इनके पूजन से घर में धन-संपदा का आगमन होता है।
समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन मां लक्ष्मी का आविर्भाव समुद्र से हुआ था। इसलिए इस दिन को माता लक्ष्मी के अवतरण दिवस और प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात में चांद की किरणों में खीर रखने की परंपरा है। रात्रि के समय जब चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं से युक्त हो उस समय खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे भोग के रूप में ग्रहण करें। चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर खाने से मन और तन को शीतलता मिलती है। ऐसा माना जाता है कि यह खीर अमृत से युक्त होती है। इसलिए इसे घर के सभी लोगों को खाना चाहिए और प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करना चाहिए।
धार्मिक दृष्टिकोण
शास्त्रों के अनुसार इस तिथि को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। जिसकी अमृत वर्षा से खीर भी अमृत के समान हो जाती है। सुबह इसका सेवन करने से रोग खत्म हो जाते हैं और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस दिन खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने से उसमें खास तरह के विटामिन आ जाते हैं है। इसलिए यह खीर बहुत स्वास्थ्यवर्धक होती है। दूध में लैक्टिक नामक ऐसिड पाया जाता है। इसके साथ ही चावल में स्टार्च पाया जाता है हैं। जिस वजह से खीर में कई तत्व मिल जाते हैं और इसे स्वास्थवर्धक बना देते हैं।
त्वचा रोग में फायदेमंद
स्किन रोग से परेशान लोगों को शरद पूर्णिमा की खीर खाने से काफी फायदे मिलते हैं। मान्यता है कि अगर किसी भी व्यक्ति को चर्म रोग हो तो वो इस दिन खुले आसमान में रखी हुई खीर खाएं। इसे खाने से कफ और श्वांस संबंधी बीमारी भी दूर होती है।
इस प्रकार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन, लक्ष्मी पूजन और खीर के भोग का अलग महत्व है। इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पूजन करें, विशेष रूप से फलदायी होगा।