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शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाकर पीएचई के ईई ने कर दी निविदा स्वीकृति, चहेते ठेकेदार को 515 लाख का दिया टेंडर, राज्य शासन को लगी चपत

गोपाल शर्मा@जांजगीर चांपा। जल जीवन मिशन में चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने पीएचई के ईई ने शासन के नियम की जमकर धज्जियां उड़ाई है। इससे शासन को चपत लग रही है, जिले में निविदा जारी किया गया है जहां न तो शासन के नियम का पालन किया गया है और कलेक्टर के स्वीकृति बिना भी निविदा जारी कर दी गई है। इसे कमीशन का फेर कहे या जेब भरने की कवायद। इसके परिणाम स्वरूप लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के ईई सुनील शुक्ला ने ऐसी कृपा बरसाई और तिरुपति इंटरप्राइजेज को 515 लाख से ज्यादा की निविदा स्वीकृति प्रदान कर दी, जिससे शासन के नियम को भी ताक पर रखकर अफसरशाही का नयाब नमूना भी देखने को मिला। जल जीवन मिशन के तहत जिले के कई गांव में पानी टंकी का निर्माण कर घर- घर नल कनेक्शन लगाने का कार्य लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ठेकेदारों को दिया गया है। कई जगह पानी टंकी को महज औपचारिक रूप से निर्माण कराकर वाहवाही लूटी गई है। जल जीवन मिशन के तहत बनाए गए पानी टंकी और पानी सप्लाई के लिए लगाए गए पाइप की गुणवत्ता को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर घर पानी पहुंचाने के दावे धरातल पर महज जुमला साबित हो रहा है और पीएम की महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लग रहा है।

जिला प्रशासन को 5 करोड़ के एक निविदा की  स्वीकृति का अधिकार

शासन के नियमानुसार 5 करोड़ रूपए तक की निविदा पास करने का अधिकार प्राप्त है, मगर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जिम्मेदार ईई सुनील शुक्ला ने बड़ी गड़बड़ी कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी  है। इससे शासन के निर्देश की जमकर धज्जियां उड़ाई गई है। 

अकलतरा क्षेत्र के तीन टेंडर को किया निरस्त,  दोबारा ध्यान तक नहीं दिया

अकलतरा विकासखंड क्षेत्र के टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई  के साथ ठेकेदार को ब्लैक लिस्टस्टेड किया गया था। इसके बाद इन तीनों टेंडर को दोबारा नहीं निकालना कई तरह के सवाल या निशान खड़ा कर रहे हैं। इसके साथ ही जल जीवन मिशन में किस तरह से भ्रष्टाचार हुआ है उसका भी पोल खुल रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कमीशन के फेर में कितना बड़ा खेल अफसर ने कर दिया है।

भ्रष्ट ईई को कार्रवाई का डर नहीं, 

जल जीवन मिशन के बारे में जानकारी लेने ईई से पूछा गया तो वह आगबबूला हो गए। उनका कहना था कि वह अपने काम में इतना व्यस्त है कि उनके ही कारनामे के बारे में बात करने तक की फुर्सत नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ईई को किसी तरह का कोई भय नही है और जमकर नियमो की धज्जियां उड़ाई गई है। 

नियम विरुद्ध निविदा स्वीकृति प्रदान की गई – केशव चंद्रा

जल जीवन मिशन में हुई टेंडर गड़बड़ी को लेकर विधानसभा में मामला उठाया गया था। इसके साथ ही मामले की शिकायत भी की गई है, जल जीवन मिशन को पूरा पलीता लगाया गया है। राज्य शासन के अधीन न जाकर नियम विरुद्ध निविदा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। 5 करोड़ से ऊपर के निविदा की स्वीकृति राज्य शासन के अधीन लेनी पड़ती है। जांजगीर जिले के अलावा रायपुर और सरगुजा में भी इसी तरह राज्य शासन के अधीन न जाकर जिला प्रशासन के द्वारा निविदा की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।

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