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समूह की महिलाएं ककुन से निकाल रही रेशम धागा,महिलाएं सफल उद्यमी बनने की राह पर अग्रसर

 

रायपुर।  ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए शुरू की गई रीपा यानी कि महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से महिलाओं को अच्छा अवसर मिल रहा है। उन्हें यहां कई तरीके की आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। सूरजपुर जिला प्रशासन के निर्देशन में विकासखण्ड सूरजपुर अंतर्गत रीपा गौठान बसदेई में टसर (ककुन) से धागाकरण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिलाएं सफल उद्यमी बनने की राह पर अग्रसर हो रही हैं। वहां रेशम धागाकरण समिति की महिलाओं ने कोकून से रेशम धागा तैयार करने का काम शुरू किया है।

यह महिलाएं घर का काम-काज निपटा कर रीपा आती हैं और धागा बनाने के काम में जुट जाती हैं। चाका बोडा कोरबा की प्रशिक्षक फूलबाई प्रधान पिछले 15 दिवस से बसदेई की भारती स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही है। भारती स्व-सहायता समूह में छाया वस्त्रकार, फुलेश्वरी सिंह, सरिता राजवाड़े, मालती राजवाड़े, मानमती, पिना राजवाड़े, लक्ष्मनिया राजवाड़े, प्यारो राजवाड़े, शान्ति बाई, चमेली राजवाड़े, नीराबाई, सुन्दरी, हेत कुंवर, मान कुमारी है।

जिला प्रशासन एवं रेशम विभाग द्वारा समूह तैयार कर 50 बुनियाद धागाकरण मशीनें प्रदाय की गई है। धागाकरण प्रशिक्षण अंतर्गत महिला समूह को ककुन छटनी से ले कर उबालने एवं उच्चतम कोटी के धागे निकालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम अच्छे ग्रेड के ककुन को छांटा जाता है, उसके उपरांत सोडे की सहायता से भांप के माध्यम से 20 से 25 मिनट तक उबाला जाता है। उसके बाद महिलाएं आवश्यकतानुसार कोसा लेकर मशीन की सहायता से धागा निकालती हैं। एक किलो धागा निकालने हेतु 1000 नग अ-ग्रेड के कोसे की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत 1950 से 2500 तक होती है, एक दिन में 150 से 200 ग्राम धागा एक हितग्राही निकाल सकता है। इससे प्रति दिवस 250 से 300 रूपए एवं कम से कम पांच हजार रूपए महीने में आय प्राप्त किया जा सकता है।

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