सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण (हेट स्पीच) देने वाले अराजक तत्वों (फ्रिंज एलिमेंट) पर सख्त आपत्ति जताई है। कोर्ट ने सवाल किया कि लोग क्यों खुद को काबू में नहीं रखते। कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का भी जिक्र किया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उनके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग इकट्ठा होते थे।
धर्म को राजनीति से रखें दूर: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि भारत के लोग अन्य नागरिकों या समुदायों को अपमानित नहीं करने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते? दूसरों को बदनाम करने के लिए हर रोज ऐसे तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों पर बयान दे रहे हैं। जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग बंद कर देंगे, नफरत फैलाने वाले भाषण समाप्त हो जाएंगे।
सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा: जस्टिस केएम जोसफ
बता दें कि कुछ महीनों पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के मामले पर तीखी टिप्पणी की थी। जस्टिस केएम जोसफ ने कहा था, “यह 21वीं सदी है। हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए, लेकिन आज घृणा का माहौल है।” उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है। हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है। उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं।