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अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति का व्रत है करवाचौथ, जानिए क्या है पूजा, मंत्र और कैसे दें अर्घ्य …

रायपुर. शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए. पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवाचौथ के दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है. करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है.

इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है. स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है. जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं. इसको करने से न सिर्फ पति की आयु लंबी होती है बल्कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की सारी परेशानियां भी दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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कहते हैं कि सुहाग के व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और परिवार संकट से दूर रहता है. कहते हैं कि इस दिन माता पार्वती, शिवजी और कार्तिकेय का पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

करवाचौथ के व्रत की पूजा

करवाचौथ के व्रत की पूजा करवा चौथ के दिन सुबह उठकर सरगी का सेवन किया जाता है और उसके बाद स्नान करके घर के सभी बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रत का आरंभ किया जाता है. करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला किया जाता है और उसके बाद शाम के समय तुलसी के समक्ष बैठकर करवा चौथ के व्रत की विधि विधान से पूजा की जाती है. चांद निकलने से पहले थाली में धूप-दीप, रोली, अक्षत, पुष्‍प और मिठाई रख लें. करवे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें और फिर चांद निकलने के बाद अर्घ्य देकर छलनी से पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ लें.

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कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 13 अक्टूबर 2022, रात्रि 01 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 14 अक्टूबर को रात्रि 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. इस दिन चांद निकलने का समय 08 बजकर 07 मिनट पर है. पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर 2022 को शाम 05:41 से लेकर 06:55 तक रहेगा.

पूजन हेतु मंत्र

‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ शण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें. करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें. एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें. करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें.

चांद को अर्घ्य

जब चांद निकलता है तो सभी विवाहित स्त्रियां चांद को देखती हैं और सारी रस्में पूरी करती हैं. पूजा करने बाद वे अपना व्रत खोलती हैं और जीवन के हर मोड़ पर अपने पति का साथ देने वादा करती हैं. चंद्रदेव के साथ-साथ भगवान शिव, देवी पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है. माना जाता है कि अगर इन सभी की पूजा की जाए तो माता पार्वती के आशीर्वाद से जीवन में सभी प्रकार के सुख मिलते हैं.

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