अंबिकापुर। उच्च शिक्षा विभाग ने अंबिकापुर स्थित राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ एस एस अग्रवाल को निलंबित कर दिया है। बताया जा रहा है कि कल महाविद्यालय में निलंबन का आदेश पहुँचने के बाद भी प्रिसिंपल ने न केवल प्रोफेसर और कर्मचारियों की बैठक ली बल्कि आकस्मिक छुट्टी लेकर गायब भी हो गए।
उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव आर ए निर्मलकर के हस्ताक्षर से जारी प्राचार्य डॉ एस एस अग्रवाल के निलंबन आदेश में लिखा है, “उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से डॉ एस एस अग्रवाल के खिलाफ शिकायतों की जांच सही पाई गई, समय समय पर दिए निर्देशों की अवहेलना करने, अनुचित वित्तीय लाभ, आचरण नियमों के खिलाफ काम करने के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय क्षेत्रीय अपर संचालक कार्यालय उच्च शिक्षा विभाग रायपुर रहेगा।
डॉ एस एस अग्रवाल पूर्व में राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयअम्बिकापुर में ही प्रोफेसर हुआ करते थे। तब भी उनके खिलाफ कुछ शिकायतें की गई थीं। यहां से प्राचार्य पद पर पदोन्नत होकर वे सरगुजा के शासकीय महाविद्यालय में पदस्थ हुए। इसके बाद वे वापस अंबिकापुर के महाविद्यालय में पदस्थ हुए।
यहां कई मामलों को लेकर प्राचार्य अग्रवाल चर्चा में रहे। इस बार कॉलेज के कर्मचारी ने प्रिंसिपल की उच्च शिक्षा विभाग में शिकायत कर दी। उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता और आदिवासी कर्मचारी के साथ अभद्रता का भी आरोप था। पता यह भी चला है कि सूरजपुर में पदस्थापना के दौरान खिलाफ कुछ शिकायतें थीं। इन सब मामलों की शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जांच कर क्षेत्रीय अपर संचालक और पीजी कॉलेज प्रिंसिपल डॉ एस एस अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया है।
डॉ एस एस अग्रवाल के निलंबन का आदेश 19 तारीख को उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किया गया था। यह आदेश कुछ ही घंटों में कुछ घंटे में कॉलेज तक पहुंच गया। ऐसे में नियमतः पद छोड़कर किसी और को प्रभार दे देना था, मगर कल 19 तारीख को शाम 5 बजे डॉ अग्रवाल ने प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और अधिकारी कर्मचारी की बैठक ली। बैठक का एजेंडा क्या था इसका पता तो नहीं लग सका, मगर बैठक लेने के बाद प्रिंसिपल सीएल (आकस्मिक अवकाश) लेकर कॉलेज से नदारद हो गए। बताया जाता है कि पूर्व की ही तरह कुर्सी बचाने के लिए प्रिंसिपल सीएल लेकर गायब हो गए हैं, ताकि उनकी जगह कोई नया प्राचार्य जगह न ले सके।
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