धार्मिक समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि नए मंदिर में रामलला की आरती दिन में पांच बार होगी। राममंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आचार संहिता तैयार की जा रही है।
राममंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नियमावली यानी आचार संहिता तैयार करा रहा है। इसके लिए गठित की गई धार्मिक समिति की दो दिवसीय बैठक हो चुकी है। बैठक में सदस्यों ने नियमावली पर घंटों मंथन किया। तय हुआ है कि नए राममंदिर में भी रामलला की आरती पांच बार की जाएगी।
बैठक में पूजन-अर्चन के विधान को लेकर चर्चा की गई। नए मंदिर में रामलला का पूजन विधान रामानंदीय परंपरा के अनुकूल होगा। समिति ने बैठक में पूजन विधान से लेकर रामलला के श्रृंगार व भोग, त्योहार, पर्व व अन्य विशेष अवसरों पर श्रृंगार व भोग आदि पर चर्चा की। हर माह की एकादशी को रामलला को किस प्रकार का भोग अर्पित किया जाए, इस पर भी विचार हुआ।
मकर संक्रांति, होली, रामनवमी, झूलनोत्सव, कार्तिक परिक्रमा, रामविवाह आदि उत्सव रामलला के दरबार में किस तरह और किस स्वरूप में मनाए जाएं इन सबकी आचार संहिता बनाई जा रही है। बैठक में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, जगद्गुरु विश्वेशप्रपन्न तीर्थ, महंत मिथिलेश नंदिनी शरण, महंत डॉ़ रामानंद दास मौजूद रहे।
पुजारियों के लिए 115 वैदिकों का हुआ साक्षात्कार
राममंदिर में पूजा-अर्चना के लिए प्रशिक्षित पुजारी रखे जाने हैं। इसके लिए ट्रस्ट ने आवेदन मांगा था। 84 कोसी सीमा क्षेत्र के ही आवेदन स्वीकार किए गए हैं। 31 अक्तूबर तक दो हजार वैदिक आचार्य व बटुकों ने आवेदन किया है। इनका साक्षात्कार भी रविवार से शुरू कर दिया गया है। अब तक 115 वैदिक आचार्यों का साक्षात्कार हो चुका है। दिल्ली से आए वैदिक आचार्य चंद्रभानु शर्मा ने बताया कि साक्षात्कार में करीब 50 वैदिक बटुकों का चयन होगा। फिर इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा, इसके बाद एक परीक्षा होगी परीक्षा में जो उत्तीर्ण होगा उसे पुजारी के लिए चयनित किया जाएगा। दिसंबर से प्रशिक्षण सत्र प्रारंभ हो जाएगा।
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