बिलासपुर—अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर कलेक्टर की अध्यक्षता में मंथन सभागार में विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। अरपा रिवाईवल प्लान समिति की बैठक में विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस दौरान विशेषज्ञों ने अरपा नदी के उद्गम, बहाव और अतिक्रमण जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपना दृष्टिकोण पेश किया।
जिले की जीवन रेखा अरपा नदी में बारहों महीने पानी का बहाव और नदी के संरक्षण को शुक्रवार को कलेक्टर अवनीश शरण की अध्यक्षता में अरपा रिवाईवल समिति की बैठक हुई। मंथन सभागार मेें आयोजित बैठक में उच्च न्यायालय की तरफ से पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन के तहत अरपा रिवाईवल प्लान विशेषज्ञों की टीम ने हिस्सा लिया। बैठक में अरपा नदी के उदगम, पानी का बहाव और अतिक्रमण समस्या पर
बैठक में बताया गया कि अरपा के संरक्षण के लिए विभागों की तरफ से बहुत सारे काम किए गए हैं। लेकिन कार्यों की समेकित जानकारी किसी के पास नहीं है। समिति में शामिल विभागों के अधिकारियों की एडीएम की अध्यक्षता में टास्क फोर्स कमिटी गठित की गयी है। रिवाईवल समिति ने निर्णय लिया कि टास्क फोर्स कमिटी अगले हफ्ते बैठक कर विभागों की तरफ से किये गये कार्यो की समेकित जानकारी पेश करेगी।
समिति के सदस्यों ने अरपा नदी के भौगोलिक सर्वे, उदगम क्षेत्र और जलग्रहण क्षेत्र के चिन्हांकन, खनिज गतिविधियों, अतिक्रमण, नदी में सीवरेज जल प्रवाह की रोकथाम के संबंध में विचार विमर्श किया। बैठक में बताया गया कि अरपा नदी का कुल जलग्रहण क्षे़त्र 3634.56 वर्ग किमी है। अरपा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के 77 गांव, मुंगेली के 3 , बिलासपुर जिले के 415 और कोरबा जिले के 130 गांव आते हैं। इस प्रकार चार जिलो के 625 गांव अरपा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में हैं।
जल संसाधन विभाग ने बताया कि अरपा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में 20 सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया। इससे अरपा नदी में 26.59 मि.घ.मी. जल संवर्धन हुआ। अरपा नदी को जीवंत रखने के लिए चार योजनाएं निर्माणाधीन हैं। योजनाओं की प्रस्तावित जल भराव क्षमता 25.16 मि.घ.मी. है। सिंचाई क्षमता 25 हजार हेक्टेयर से अधिक है। इसी प्रकार अरपा की सहायक नदियों और नालों में 20 योजनाएं निर्माणाधीन हैं।
बैठक में नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार, डीएफओ संजय यादव, एडीएम आर. ए. कुरूवंशी, समिति में शामिल विभागीय अधिकारी, उच्च न्यायालय से एमिकस क्यूरी की तरफ से राज्य जैव विविधता समिति के सदस्य नीरज तिवारी, भूगोल शास्त्र के विभागाध्यक्ष डाॅ. पीएल चन्द्राकर, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता न्यायमित्र आशुतोष सिंह कछवाहा, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता यू.एन.एस. देव, पीटीशनर अरविन्द कुमार शुक्ला और श्रवण कुमार चंदेल मौजूद थे।