केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन पर विचार कर रही है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात कही।
जनहित याचिका में सीआरपीसी के उस प्रविधान को चुनौती दी गई थी, जिसमें किसी आपराधिक मामले में आरोपित के उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में केवल परिवार के पुरुष सदस्य को समन तामील करने का नियम है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार आपराधिक कानूनों में संशोधन पर गंभीरता से विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, ”इस संदर्भ में विचार-विमर्श हुआ है। असल में मैंने व्यक्तिगत रूप से सरकार से इसमें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए कहा है।”
इनमें से कुछ (संशोधन) राजद्रोह कानूनों से संबंधित हैं। जब पीठ ने अटॉर्नी जनरल से इस दलील की प्रासंगिकता के बारे में पूछा कि राजद्रोह कानून में भी बदलाव की संभावना है, तो उन्होंने कहा कि सरकार सक्रिय रूप से सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन पर विचार कर रही है।
वेंकटरमणी ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि मामले को संसद के मानसून सत्र के बाद सूचीबद्ध किया जाए। इसके बाद पीठ ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। अदालत ने कुश कालरा की ओर से दायर जनहित याचिका पर अगली सुनवाई जुलाई के अंतिम सप्ताह में करने का फैसला किया।
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