बिलासपुर। भारतीय रेल्वे यूं तो भारत के नागरिकों के लिए है और समान रूप से भारतीय यात्रियों को सुविधाएं प्रदान करती है। पर दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे में ऐसा होता प्रतित नही हो रहा है। यहां जब आम यात्री ट्रेन से सफर करते हैं तो ट्रेन 12-12 घण्टे से भी अधिक समय तक लेट होती है। वही जब इस ट्रेन में किसी बड़े रेल्वे अफसर का सैलून जुड़ जाए तो यह सरपट दौड़ने लगती है। ऐसा ही नजारा शिवनाथ एक्सप्रेस के साथ देखने को मिला। 12 घण्टे लेट चलने वाली एक्सप्रेस जीएम का सैलून लगते ही समय पर बिलासपुर स्टेशन पहुँच गई।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा रायगढ़ से बिलासपुर होते हुए गोंदिया तक जाने के लिये जनशताब्दी एक्सप्रेस, कोरबा से बिलासपुर,रायपुर होते हुए इतवारी तक जाने के लिए शिवनाथ एक्सप्रेस व बिलासपुर से इतवारी तक जाने के लिए इंटरसिटी एक्सप्रेस का परिचालन किया जाता है। यह ट्रेनें सिर्फ बिलासपुर जोन के लिए चलाई जाती है। इतवारी के लिए चलाई जाने वाली इंटरसिटी व शिवनाथ एक्सप्रेस को बिलासपुर से तो नियत समय पर ही रवाना किया जाता है पर इतवारी से वापस आने के समय ये ट्रेनें 10 से 12 घण्टे लेट से आती है। शिवनाथ एक्सप्रेस के बिलासपुर पहुँचने का समय सुबह 7 बजे तो इंटरसिटी का दोपहर डेढ़ बजे है। शिवनाथ एक्सप्रेस को बिलासपुर से गेवरारोड़ तक गेवरारोड़ एक्सप्रेस बना कर रवाना की जाती है। 2020 में मार्च में कोरोना के समय लॉकडाउन लगने के समय से अब तक शिवनाथ व इंटरसिटी एक्सप्रेस 10 से 12 घण्टे तक लेट चल रही है। इतवारी से बिलासपुर तक आने पर घण्टो लेट होने के चलते यात्रियों को काफी तकलीफ भी उठानी पड़ती है, उनका समय भी खर्च होता है और कनेक्टिंग ट्रेन बिलासपुर से होने पर उनकी ट्रेन भी छूट जाती है।
पर कल गुरुवार की सुबह इंटरसिटी एक्सप्रेस अपने तय समय से मात्र 50 मिनट लेट 7 बजकर 50 मिनट पर बिलासपुर स्टेशन पहुँच गई। जिसके चलते यात्रियों के साथ ही रेलकर्मी भी आश्चर्य चकित हो उठे। लोगो को यह समझ मे नही आ रहा था कि पिछले ढाई साल से दस से बारह घण्टे लेट होने वाली शिवनाथ एक्सप्रेस आज टाइम पर कैसे पहुँच गई। फिर थोड़ी ही देर में सारा माजरा क्लियर हो गया। दरअसल शिवनाथ एक्सप्रेस में दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के जीएम आलोक कुमार का सेलून लगा था। दरअसल रेलवे महाप्रबंधक नागपुर के पास मोतीबाग का निरीक्षण करने गए हुए थे। वापसी में उनका सेलून शिवनाथ एक्सप्रेस में जोड़ दिया गया था। यही वजह थी कि उनकी सुविधा का ख्याल रखते हुए समय से ट्रेन बिलासपुर पहुँच गई। इससे यह भी साबित हो गया कि रेल्वे प्रबंधन चाहे तो सही समय पर ट्रेनों का संचालन हो सकता है पर आम यात्रियों को सुविधा प्रदान करने की रेल्वे अधिकारियों को आखिर क्या ही पड़ी है।