भारतीय सेना की इंजीनियरिंग रेजीमेंट के जवान व अधिकारी तकनीकी में महारथ रखते हैं। यह सभी मैनुअल ड्रिलिंग के काम में हाथ बंटाएंगे जिससे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों तक 800 मिमी पाइपों से एस्केप पैसेज तैयार करने का काम पूरा किया जा सकेगा।
सिलक्यारा सुरंग के अंदर मैनुअल ड्रिलिंग के काम में भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर मदद करेगी। रविवार सुबह सेना की इंजीनियरिंग रेजीमेंट मद्रास इंजीनियर ग्रुप (एमईजी) की एक टुकड़ी सिलक्यारा पहुंच गई है जो यहां मैनुअल ड्रिलिंग का जिम्मा संभालेगी।
दरअसल, सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था। करीब 47 मीटर तक ड्रिलिंग कर मलबे में 800 मिमी के पाइप डाल दिए गए थे कि बीते शुक्रवार शाम को ऑगर मशीन के ब्लेड सरियों में फंस कर टूट गए जिसके बाद से ही मशीन से ड्रिलिंग का काम ठप हैं।
वहीं फंसे हुए ऑगर को बाहर निकालने के लिए लेजर, प्लाज्मा व गैस कटर से कटिंग का काम जारी है। ऑगर को बाहर निकालने के बाद मैनुअल ड्रिलिंग की जाएगी। इसके लिए खासतौर पर भारतीय सेना की मद्रास इंजीनियर ग्रुप की टुकड़ी को बुलाया गया है।
भारतीय सेना में एक इंजीनियरिंग रेजीमेंट
सूत्रों के अनुसार इस टुकड़ी में 30 जवान व अधिकारी शामिल हैं। जो कि तकनीकी में महारथ रखते हैं। यह सभी मैनुअल ड्रिलिंग के काम में हाथ बंटाएंगे। जिससे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों तक 800 मिमी पाइपों से एस्केप पैसेज तैयार करने का काम पूरा किया जा सकेगा। राहत एवं बचाव कार्य के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल का कहना है कि भारतीय सेना मैनुअल ड्रिलिंग के काम में मदद करती है तो यह बहुत अच्छा रहेगा।
मद्रास सेपर्स के नाम से हैं प्रसिद्ध
मद्रास इंजीनियर ग्रुप को मद्रास सेपर्स के नाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय सेना में एक इंजीनियरिंग रेजीमेंट है। जो कि पैदल सेना के लिए पुल, हेलीपैड, नदी पर अस्थायी पुल आदि के निर्माण में सहायता देते हैं।
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