नई दिल्ली। गरीब और पिछड़े इलाकों के ऐसे स्कूल जहां बिजली, इंटरनेट, लाइब्रेरी, ढांचागत सुविधाओं जैसे संसाधनों की कमी है, वहां शैक्षिक अंतर को कम करने के लिए ‘लव टू लर्न’ नामक एक पहल की जा रही है।
छात्रों के लिए पूरी तरह निशुल्क इस पहल का उद्देश्य कम संसाधन वाले छात्रों की शैक्षणिक दूरी कम करना है। इसके तहत पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों के जरूरतमंद स्कूलों को आसोका की मदद से ढांचागत सुविधाएं व शिक्षकों को आधुनिक ट्रेनिंग मुहैया कराई जा रही है।
आसोका की मैनेजिंग डायरेक्टर मोनिका मल्होत्रा का कहना इसका एकमात्र उद्देश्य छात्रों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना समान अवसर प्रदान करना है। खासतौर पर ग्रामीण परिवेश के स्कूलों को प्रौद्योगिकी में शामिल करके पारंपरिक कक्षाओं में क्रांति लाने की कोशिश की जा रही है जो शिक्षार्थियों के लिए अनंत संभावनाओं की दुनिया खोलता है।
यह पहल दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित कई स्कूलों में लागू की गई है। इस पहल से लगभग 25,000 छात्र लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही पर्स्नालाइज्ड लर्निंग ऐप आसोका ने अपने वर्जन 2.0 को लॉन्च किया है।
एड टेक प्लेटफॉर्म ने 1900 स्कूलों के साथ सहयोग किया है और अगले तीन वर्षों में पूरे भारत में 20,000 स्कूलों को लक्षित करने का लक्ष्य है। यह एडवांस वर्जन नए फीचर्स, बेहतर यूजर इंटरफेस और एडवांस यूजर एक्सपीरियंस से लैस है।
यह वर्जन अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से शिक्षा में क्रांति लाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नए फीचर के सीमलेस इंटीग्रेशन के लिए आसोका ने अपने 150 प्रशिक्षकों के लिए ट्रेनिंग सेशन का भी आयोजन किया है। ट्रेनिंग सेशन में ऐप उपयोग, पाठ्यक्रम एकीकरण और प्लेटफ़ॉर्म नेविगेशन सहित कई विषयों को शामिल किया गया है।
एआई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके, आसोका वर्जन 2.0 व्यक्तिगत स्तर पर, एक कक्षा के भीतर, या विभिन्न विषयों में रुझानों की कल्पना करके छात्रों की शैक्षणिक प्रगति को ट्रैक करने का एक सहज साधन प्रदान करेगा।
इसके अलावा, यह प्रत्येक छात्र के विकास पथ के संबंध में पूर्वानुमान देकर एक कदम आगे निकल जाएगा। एआई-संचालित एनालिटिक्स से पूर्वानुमान वास्तविक समय के प्रदर्शन विश्लेषण और उनकी अद्वितीय सीखने की क्षमताओं की स्मार्ट समझ पर आधारित होंगी।
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