(रवि भोई)कहा जा रहा है कि कई सर्वे और फीड बैक के बाद भी कांग्रेस की टिकटों के बंटवारे में क्षत्रपों की ही चली। हाईकमान ने तो केवल मुहर लगाने का काम किया। ईडी की जद में आने के बाद भी देवेंद्र यादव को भिलाई नगर से फिर टिकट मिल गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने करीबी अटल श्रीवास्तव को कोटा, छाया वर्मा को धरसींवा, गिरीश देवांगन को राजनांदगांव और शैलेश नितिन त्रिवेदी को बलौदाबाजार से प्रत्याशी बनवा दिया। इनके अलावा उनकी पसंद के और भी लोगों को टिकट मिली। खबर है कि मुख्यमंत्री ने नहीं चाहा तो खुज्जी से छन्नी साहू का पत्ता साफ़ हो गया। इसी तरह उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने विरोधी विधायक बृहस्पति सिंह और चिंतामणि महाराज को भी पटरी से उतार दिया। सिंहदेव ने रामानुजगंज सीट से डॉ अजय तिर्की को टिकट दिलवाकर पार्टी के भीतर ताकत दिखा दी। कहते हैं सरगुजा इलाके में टिकट बांटने में तो सिंहदेव की खूब चली। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी टिकट बांटने में पीछे नहीं रहे। पामगढ़ से शेषराज हरबंश, अकलतरा से राघवेंद्र सिंह,तखतपुर से रश्मि सिंह, बेलतरा से विजय केशरवानी को टिकट दिलवा ही दिया।
किस्मत वाले प्रत्याशी
ओपी चौधरी को किस्मत वाला प्रत्याशी कहा जा रहा है। ओपी चौधरी ने खरसिया छोड़कर रायगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहा, तो वहां से टिकट मिल गई। कहते हैं ओपी चौधरी चाहते थे कि तारण प्रकाश सिन्हा रायगढ़ कलेक्टर के पद से हट जाएं, वैसा ही हुआ। अब रायगढ़ के कलेक्टर कार्तिकेय गोयल बन गए हैं। कहा जा रहा है कि जब ओपी चौधरी जांजगीर-चांपा के कलेक्टर थे, तब कार्तिकेय गोयल उनके प्रोबेशनर और सक्ती के एसडीएम थे। रायगढ़ सीट से कांग्रेस ने वर्तमान विधायक प्रकाश नायक को ही टिकट दे दिया। प्रकाश नायक को ओपी चौधरी के मुकाबले कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा है।दोनों एक ही समाज से हैं। शक्रजीत नायक और प्रकाश नायक को छोड़कर अधिकांश समय इस सीट से अग्रवाल विधायक रहे हैं। इसे कहते हैं भाग्य का खेल। अब ओपी चौधरी की इच्छा विधायक बनने की है। इसके लिए तीन दिसंबर तक इंतजार करना पड़ेगा।
भाजपा में परिवारवाद
विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में भाजपा का परिवारवाद उभरकर सामने आ गया। 2023 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह के परिवार से तीन लोग प्रत्याशी हैं। रमन सिंह राजनांदगांव से प्रत्याशी हैं। खैरागढ़ के प्रत्याशी विक्रांत सिंह और पंडरिया की प्रत्याशी भावना बोहरा भी डॉ रमन सिंह के रिश्तेदार हैं। वहीं भाजपा ने जूदेव परिवार से भी दो लोगों को टिकट दिया है। जूदेव परिवार की बहू संयोगिता सिंह, चंद्रपुर विधानसभा से और कोटा से प्रबल प्रताप सिंह जूदेव प्रत्याशी हैं। अभनपुर विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी इंद्रकुमार साहू को पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू का रिश्तेदार बताया जा रहा है।
कलेक्टर की दादागिरी
कहते हैं एक कलेक्टर चुनाव के नाम पर दादागिरी पर उतर आई हैं। कहा जा रहा है कि कलेक्टर मेडम ने चुनाव कार्य के लिए सरकारी और व्यवसायिक वाहनों को छोड़कर अभी से निजी वाहनों का अधिग्रहण शुरू कर दिया है। चर्चा है कि इस जिले के अफसर हर छोटे-मोटे काम के लिए कारखाना मालिकों से वाहन लेने के आदि हो गए हैं। कहा जा रहा है कि एक फैक्ट्री वाले ने चुनाव कार्य के लिए किराये का वाहन दिलाने में थोड़ी आनाकानी की, तो कर्मचारी का निजी वाहन ही अधिग्रहित करने का आदेश जारी कर दिया गया। अब चुनाव अवधि में जिले के अफसर शेर हो गए हैं, उन्हें रोके तो रोके कौन ?
पहले प्रत्याशी, फिर भाजपा वोटर
कहते हैं भाजपा के करीब आधे दर्जन प्रत्याशी पहली बार भाजपा को वोट डालेंगे। भाजपा ने इस बार कई पैराशूट प्रत्याशी के साथ दूसरे दलों से आए कुछ लोगों को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा में गुरु खुशवंतसिंह,अनुज शर्मा,रामकुमार टोप्पो, योगेश्वर राजू सिन्हा को पैराशूट प्रत्याशी माना जा रहा है। तखतपुर के प्रत्याशी धर्मजीत सिंह और राजिम के प्रत्याशी रोहित साहू अब भाजपा से चुनाव लड़ने के कारण कमल निशान पर बटन दबाएंगे। परंपरागत रूप से कांग्रेसी धर्मजीत सिंह ने पिछला चुनाव जोगी कांग्रेस से लड़ा था, उसके पहले कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरते रहे हैं। रोहित साहू भी जोगी कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। बसना के प्रत्याशी संपत अग्रवाल भी 2018 में निर्दलीय चुनाव लड़े थे। संपत अग्रवाल के खिलाफ पिछली बार दिया गया डॉ रमन सिंह का भाषण खूब वायरल हो रहा है। वैसे वे पहले भाजपाई रहे हैं।
भाजपा में ब्राम्हणों का संतुलन
भाजपा ने इस बार अब तक पांच ब्राम्हणों को प्रत्याशी बनाया है, जिनमें एक बिहारी, एक राजस्थानी, एक उड़िया और दो छत्तीसगढ़ी ब्राम्हण हैं। पेंडिंग सीट बेमेतरा और बेलतरा से भी ब्राम्हण दावेदार ताल ठोंक रहे हैं। इन दो सीटों पर भी भाजपा ने ब्राम्हण प्रत्याशी उतार दिए तो संख्या सात हो जाएगी। वैसे इस बार भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग के तहत काम किया है। दो कलार, दो यादव, एक अघरिया के साथ कुर्मी और साहू में भी संतुलन साधा है। हालाँकि पिछली बार की तुलना में कुछ कम साहू मैदान में उतारे हैं। चार सीटें पेंडिंग हैं , देखते हैं उन सीटों में किन वर्गों के लोगों को उतारते हैं।
भाजपा -कांग्रेस के असंतुष्टों पर सबकी निगाह
कांग्रेस ने अब तक अपने 18 वर्तमान विधायकों के टिकट काट दिए हैं ,वहीं कांग्रेस के टिकट के कई दावेदार भी प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से नाराज हैं। भाजपा ने अपने सभी वर्तमान विधायकों को टिकट तो दे दिया है, लेकिन कई जगह प्रत्याशियों को लेकर नाराजगी है और दावेदार असंतुष्ट हैं। अब भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्टों पर सबकी निगाह है। टिकट कटने के बाद कांग्रेस विधायक अनूप नाग ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर दिया। चर्चा है कि बृहस्पत सिंह और दूसरे विधायक भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा के नाराज नेताओं में विजय अग्रवाल और डॉ विमल चोपड़ा के निर्दलीय मैदान में उतरने की खबर चल रही है। अब देखते हैं, नाराज लोगों को दोनों दलों के दिग्गज नेता किस तरह मना पाते हैं।(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)
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