एक ओर पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति का मुद्दा है तो दूसरी ओर रोजगार का संकट है।
कान्हा की नगरी के बाशिंदे वर्तमान में दोहरा संकट झेल रहे हैं। एक ओर पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति का मुद्दा है तो दूसरी ओर रोजगार का संकट है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकारी मशीनरी यहां के पारंपरिक चांदी और साड़ी उद्योगों को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई कर रही है। चांदी उद्योग से जुड़े ढोल कारखानों और साड़ी इकाइयों को बंद किया जा रहा है। दोनों बड़े उद्योगों से जिले की करीबन चार लाख की आबादी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा रही है। इकाइयों पर बंदी की तलवार लटकने से इन लोगों को रोजगार छिनने की चिंता सता रही है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के मौके पर शुक्रवार को जब उद्यमियों से इस मुद्दे पर बातचीत की तो उनका कहना था कि सरकारी मशीनरी सिर्फ उद्योगों को पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार न ठहराए।
पिछले वर्षों के मुकाबले घट रहा प्रदूषण
हवा में प्रदूषण कम करने के लिए सरकारी मशीनरी से लेकर उद्यमियों के स्तर से उठाए गए कदम काम आ रहे हैं। पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष वायु गुणवत्ता में सुधार है। इस सीजन में दिवाली के अगले दिन एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 195 मापा गया था, लेकिन 2021 में तो नवंबर माह के पहले सप्ताह में ही एक्यूआई 448 तक पहुंच गया था। वर्ष 2022 में एक्यूआई का स्तर नवंबर में 250 तक मापा गया।
साड़ी उद्योग पर टीटीजेड के डंडे का संकट
मथुरा टीटीजेड के दायरे में होने के कारण यहां के उद्योग धंधे धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं। कभी यहां साड़ी की 100 से अधिक इकाइयां थीं, जो अब 40 के करीब ही रह गईं हैं। इनमें भी 14 को पिछले माह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नोटिस जारी कर बंद करा दिया गया था। साड़ी उद्योग के संरक्षक एवं नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष राजेश बजाज ने बताया कि आगरा और फिरोजाबाद को टीटीजेड में शामिल करने के बाद वहां सीएनजी-पीएनजी की सप्लाई उद्योगों को दी जा रही है। मथुरा में यह सुविधा नहीं है। मथुरा में ईटीवी प्लांट को सरकार द्वारा सब्सिडी नहीं दी जा रही है। सरकार बायोफ्यूल के बढ़ावे की बात कर रही है। उद्यमी भी इसके लिए तैयार हैं। इस बात को कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी के जरिये प्रदेश सरकार के समक्ष भी रखा गया है।
25 हजार लोगों को रोजगार दे रहे टोंटी उद्योग पर भी शिकंजा
टोंटी उद्योग से जुड़े देवेंद्र चौधरी ने बताया कि मथुरा में 400 इकाइयां हैं। देशभर में यहां से टोंटी सप्लाई होती हैं। 40 के करीब बड़े कारोबारी इस धंधे से जुड़े हैं। 25 हजार के करीब लोगों को यह उद्योग रोजगार दे रहा है। मथुरा के टीटीजेड क्षेत्र में होने के कारण इस उद्योग पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग का शिकंजा कसता जा रहा है। जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सामने मथुरा के चार अलग-अलग हिस्सों में एक्यूआई माप कराकर रिपोर्ट रखी गई है। इसमें पाया गया है कि फैक्ट्री क्षेत्रों से अन्य स्थानों के मुकाबले वायु प्रदूषण कम था।
ढोल कारखाने बंदी से चांदी उद्योग पर संकट
ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन के ब्रज प्रांत संयोजक अमित जैन ने बताया कि मथुरा में 25 हजार करोड़ का चांदी उद्योग संकट में है। चांदी को साफ करने के बाद उसके गंदे जल की निकासी के इंतजाम नहीं हैं। उत्तर भारत में आगरा के बाद मथुरा चांदी व्यवसाय का सबसे बड़ा केंद्र है। इस उद्योग से करीब 1000 बड़े व्यापारी जुड़े हैं। इसके साथ ही 50 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। चांदी सफाई के लिहाज से महत्वपूर्ण ढोल कारखानों को बंद कराया जा रहा है। मथुरा में जूलरी पार्क की मांग केंद्र सरकार से की थी, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। यह मांग पूरी हो जाती है तो एक ही स्थान पर सभी इकाइयां लगेंगीं।
प्रदूषण से बचाव के लिए दें ध्यान..
सीएम के आदेश के बाद भी पॉलिथीन पर प्रतिबंध नहीं, इसे सख्ती से लागू किया जाए
पराली जलाने वालों पर अंकुश लगाएं
डीजल चलित पुराने वाहनों को सड़कों से हटाया जाए
अधिक संख्या में ई-बसों का संचालन करे सरकार
सभी उद्योगों से जुड़ी फैक्ट्रियों में अधिकारी मानक पूरे कराने पर ध्यान दें, न की सीधे नोटिस जारी कर फैक्ट्री बंद कराएं
नए नियमों की जानकारी समय से फैक्ट्री संचालकों को दें
गीले और सूखे कूड़े का प्रभावी निस्तारण हो
वायु और जल प्रदूषण के साथ ही ध्वनि प्रदूषण पर भी रोक लगाने के इंतजाम हों
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