कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर तट पर जहां श्रद्धालु भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर भजनों में लीन रहे, तो वहीं महिलाएं श्रद्धालु भी कई जगहों पर टोलियों में एकत्रित होकर भगवान विष्णु की कथा करती दिखाई दी। वहीं, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि आज सोमवार को दोपहर दो बजकर 45 मिनट तक रहेगी।
कार्तिक पूर्णिमा के चलते अल सुबह पवित्र ब्रह्मसरोवर में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और दीपदान कर पूजा अर्चना की। कार्तिक पूर्णिमा होने के चलते हजारों श्रद्धालु इस सुखद संयोग में भागीदार बनने के लिए उमड़ पड़े। कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में काफी अहम माना गया है, इस दिन को देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के चलते ही रविवार देर रात तक श्रद्धालु यहां दीपदान करते रहे। सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने यहां मोमबती व दिए जलाए तो वहीं बड़े स्तर पर दिए जलाकर पवित्र सरोवर में भी प्रवाहित किए। इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में रविवार देर शाम व सोमवार सुबह भी उत्साह बना रहा।
धर्मनगरी में दूर-दराज से श्रद्धालु सोमवार सुबह ही ब्रह्मसरोवर तट पर पहुंचना शुरू हो गए थे, जिसके चलते दिन भर ब्रह्मसरोवर तट के आसपास मेले जैसा माहौल बना रहा। ब्रह्मसरोवर पर श्रद्धालु दीप जलाकर पवित्र ब्रह्मसरोवर के जल में छोड़ते नजर आए। वहीं केडीबी के कर्मचारी भी मेले की व्यवस्था को दुरुस्त करते रहे, जबकि मेले में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस कर्मचारी भी तैनात रहे।
ब्रह्मसरोवर तट पर जहां श्रद्धालु भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर भजनों में लीन रहे, तो वहीं महिलाएं श्रद्धालु भी कई जगहों पर टोलियों में एकत्रित होकर भगवान विष्णु की कथा करती दिखाई दी। वहीं शहर की धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की ओर से मंदिरों और मठों में पूजा-अर्चना और हवन यज्ञ किए गए, जबकि कई जगहों पर भंडारों का आयोजन किया गया, दूर-दराज से पहुंचे श्रदालुओं ने भंडरों में प्रसाद ग्रहण किया।
पूर्णिमा तिथि आज सोमवार को दोपहर दो बजकर 45 मिनट तक रहेगी : पंडित बलराज कौशिक
ज्योतिषाचार्य पंडित बलराज कौशिक का कहना है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि आज सोमवार को दोपहर दो बजकर 45 मिनट तक रहेगी। आज के दिन स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा पवित्र तिथि मानी गई हैं। इस तिथि में किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना का अनंत फल प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन तीर्थ स्नान, गंगा स्नान और शाम के समय दीपदान का विशेष महत्व है। शाम के समय देव मंदिरों, चौराहों, गलियों और वृक्षों के नीचे दीप जलाए जाएंगे। इस दिन को देव दीपावली भी कहा जाता है।
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