रायपुर | संवाददाता: देश के जिन दर्जन भर राज्यों में महिलाएं ख़ून की कमी यानी एनीमिया से सर्वाधिक जूझ रही हैं, उनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है. रक्तअल्पता या एनीमिया से जूझ रही महिलाओं का जो राष्ट्रीय औसत है, छत्तीसगढ़ उससे कहीं आगे है.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र की महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 57 फ़ीसदी है.
आदिवासी समाज में यह 64.6 फ़ीसदी और ग्रामीण आबादी में 58.5 प्रतिशत है.
इसकी तुलना में छत्तीसगढ़ में 15 से 49 की उम्र की 60.8 प्रतिशत महिलाएं ख़ून की कमी से जूझ रही हैं.
इसी तरह छत्तीसगढ़ में 6 से 59 महीने की उम्र के 67.2 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हैं.
लद्दाख की 15 से 49 वर्ष की आयु की 92.8 फ़ीसदी महिलाएं और 6 से 59 महीने के 92.5 फ़ीसदी बच्चे एनीमिया के शिकार हैं.
पश्चिम बंगाल की 71.4 फ़ीसदी, त्रिपुरा की 67.2 फ़ीसदी, जम्मू-कश्मीर और असम की 65.9 फ़ीसदी, झारखंड की 65.3 फ़ीसदी महिलाएं ख़ून की कमी से जूझ रही हैं.
गुजरात की 65 फ़ीसदी, बिहार की 63.5 फ़ीसदी और दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव की 62.5 फ़ीसदी महिलाएं रक्तअलप्ता की शिकार हैं.
देश में ख़ून की कमी से जूझ रही महिलाओं वाले राज्य में लक्षद्वीप सबसे अंतिम है, जहां केवल 25.8 फ़ीसदी महिलाओं को ख़ून की कमी है.
इसी तरह नगालैंड में 28.9 फ़ीसदी, मणिपुर में 29.4 फ़ीसदी और मिजोरम में 34.8 फ़ीसदी महिलाओं में ही रक्तअल्पता है.
दुनिया की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की 29.9 फ़ीसदी महिलाएं और 39.8 फ़ीसदी 6-59 महीने के बच्चे ख़ून की कमी से जूझ रहे हैं.
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