रायपुर | संवाददाता: जल जीवन मिशन के ‘हर घर जल’ योजना में पीछे रहने वाले कोरबा ज़िले में पानी के लिए, पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है. हालत ये है कि सरकारी अधिकारियों ने उन गांवों में भी करोड़ों रुपये खर्च कर दिए हैं, जिन गांवों का कोयला खनन के कारण विस्थापन शुरु हो चुका है.
घरों तक पाइप लाइन पहुंचने और जल्दी ही उनमें पेयजल आपूर्ति किए जाने के काग़ज़ी आंकड़ों की हक़ीकत ये है कि कई गांव अगले कुछ महीनों में पूरी तरह से वीरान हो जाएंगे.
इन गांवों की विस्थापन की प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही थी और विस्थापन भी तय था. इसके बाद भी विस्थापित होने वाले इन गांवों में पिछले साल भर में करोड़ों रुपये पानी में बहा दिए गए.
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड की कुसमुंडा, दीपका और गेवरा खदान के लिए बड़ी संख्या में गांव विस्थापित किए जा रहे हैं. इन गांवों में अब कोयला के लिए खनन होगा और ये गांव हमेशा-हमेशा के लिए खदानों में दफ़्न हो कर रह जाएंगे.
उदाहरण के लिए ग्राम मलगांव में विस्थापन का काम शुरु हो चुका है. बड़ी संख्या में लोग गांव से विदा ले चुके हैं. लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अफ़सरों नें गांव में 5212 मीटर पाइप लाइन बिछा भी दी. 242 घरों में नल कनेक्शन के साथ चबूतरा भी बना दिया गया.
अफ़सरों का यह पता था कि गांव के विस्थापन की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. जब तक गांव विस्थापित नहीं हो जाता, तब तक अस्थाई रुप से पानी की आपूर्ति के दूसरे प्रबंध किए जा सकते थे.
लेकिन इस पर ध्यान देने के बजाय, कई गांवों में अंधाधुंध पाइप लाइन बिछाने का काम कर दिया गया. हालांकि इन गांव वालों को इन पाइपलाइन से पानी कभी नहीं मिल पाया.
जल जीवन मिशन के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ के 78.98 फ़ीसदी घरों तक नल से पानी पहुंच रहा है.
लेकिन कोरबा में यह आंकड़ा महज 68.44 फ़ीसदी ही पहुंच पाया है.
पिछले पांच सालों में कोरबा के 2,06,953 घरों में से 1,41,639 घरों तक ही पानी पहुंच पाया है.
ग्रामीण इलाकों की बात करें तो कोरबा ज़िले के महज 44 गांव ही ऐसे हैं, जहां सौ फ़ीसदी घरों में पानी पहुंचने का दावा किया गया है. इनमें से भी प्रमाणित गांवों की संख्या महज 16 है.
2022-23 में, पिछले वर्ष की तुलना में नल कनेक्शनों में 15% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे 2 करोड़ से बढ़कर 2.33 करोड़ घरों तक पहुंचा गया.
हालांकि, 2023-24 में यह वृद्धि दर धीमी होकर मात्र 6% रह गई, जिससे 2.48 करोड़ घरों को कनेक्शन मिला, यानी अतिरिक्त 15 लाख परिवार जुड़े.
इस धीमी गति के कारण सभी घरों तक कनेक्शन नहीं पहुंच सका, औसत वृद्धि दर से यह अनुमान था कि वित्तीय वर्ष 2024 यानी मार्च 2024 के अंत तक देश के 80% से अधिक घरों तक नल से जल पहुंच जाना चाहिए था.
लेकिन 1 अप्रैल 2024 तक सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, लगभग 14 करोड़ परिवारों को नल से जल का कनेक्शन मिला, जो कुल परिवारों का 75.74% था.
नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2024 में हरेक घर तक नल पहुंचाने की योजना बनाई थी. लेकिन जिस गति से नल लगाए जा रहे हैं, उससे लगता नहीं है कि तय समय सीमा में यह संभव हो पाएगा.
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