बिलासपुर।विष्णु देव साय के रूप में Chhattisgarh को एक आदिवासी मुख्यमंत्री मिला है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो सुदूर उत्तर Chhattisgarh से चुनकर आते हैं।
मुख्यमंत्री पद पर इस इलाके को पहली बार प्रतिनिधित्व मिला है।जिसे प्रदेश की राजनीति में ने समीकरण के रूप में देखा जा सकता है।यह भी एक इत्तफ़ाक है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की एक पहचान के रूप में स्थापित शहीद वीरनारायण सिंह की पुण्यतिथि पर एक आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया गया है।
Chhattisgarh में बीजेपी की सियासत में विष्णु देव साय का नाम जाना पहचाना है। हालांकि उन्होंने 1989 में ग्राम पंचायत बगिया के पंच के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। लेकिन बीजेपी की राजनीति में विधायक से लेकर संसद, केंद्रीय मंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में वे कई बार बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां का निर्वहन कर चुके हैं।
कभी अपने गांव बगिया में निर्विरोध सरपंच चुने गए विष्णु देव साय 1990 में तपकरा विधानसभा सीट से जीत कर मध्य प्रदेश विधानसभा में पहुंचे थे। यह उसे दौर की बात है, जब रायगढ़ जिले में जशपुर का इलाका भी शामिल था।
उस इलाके में तपकरा, बगीचा और जशपुर विधानसभा सीट 3 सीटें ऐसी थीं, जहां दिलीप सिंह जूदेव का जबरदस्त प्रभाव था। इन तीनों सीटों पर लगातार बीजेपी के उम्मीदवार जीतते रहे।
सहज – सरल व्यक्तित्व के धनी विष्णु देव साय ने विधायक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई । फिर उन्हें रायगढ़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया ।
वहां भी वे तीन बार सांसद चुने गए। 2014 में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद विष्णु देव साय प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए थे। Chhattisgarh के राजनैतिक भूगोल को मोटे तौर पर तीन हिस्सों में बांटा जाता है। दक्षिण में बस्तर, मध्य क्षेत्र में रायपुर – दुर्ग -बिलासपुर का हिस्सा आता है।
और उत्तर में रायगढ़- जशपुर- सरगुजा का इलाका है। विष्णु देव साय इस बार सरगुजा – जशपुर इलाके के कुनकुरी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आए हैं ।आदिवासी समाज से मुख्यमंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही उत्तर छत्तीसगढ़ इलाके को भी मुख्यमंत्री के रूप में मौका मिला है । जिसे छत्तीसगढ़ की सियासत में नए समीकरण के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है।
यह इत्तफ़ाक है कि Chhattisgarh में आदिवासी समाज की एक पहचान के रूप में स्थापित शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि जिस दिन है, उसी दिन एक आदिवासी नेता को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया गया है। याद किया जा सकता है कि जिस दिन विष्णुदेव साय की जगह अरुण साव को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी , उस दिन विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा था ।
ऐसे दिन आदिवासी नेता को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर आलोचना भी हुई थी । लेकिन शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि पर बीजेपी ने प्रदेश को एक आदिवासी मुख्यमंत्री देकर नया मैसेज़ दिया है।आने वाले लोकसभा चुनाव के नज़रिए से भी इसे अहम् माना जा रहा है।
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