थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय ने मंगलवार को कहा कि सेना अपनी कांबैट एविएशन विंग के लिए लगभग 95 ‘प्रचंड’ लाइट कांबैट हेलीकाप्टर और 110 लाइट यूटिलिटी हेलीकाप्टर खरीदने की योजना बना रही है। ‘एयरो इंडिया’ शो से इतर चुनिंदा पत्रकारों से बातचीत में जनरल पांडेय ने कहा कि सेना स्वदेशी एलसीएच को बेहद ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात करना चाहती है, क्योंकि पर्वतीय इलाकों में इस हेलीकाप्टर की गतिशीलता काफी अच्छी है। सेना इन एलयूएच और एलसीएच को अपने पुराने पड़ चुके चीता और चेतक हेलीकाप्टरों से बदलना चाहती है।
जनरल पांडेय ने बताया कि एलसीएच प्रचंड में हेलीना मिसाइल भी लगाई जाएंगी और उसके परीक्षण सफल रहे हैं। एचएएल द्वारा विकसित 5.8 टन का दो इंजनों वाला यह हेलीकाप्टर बेहद ऊंचाई वाले स्थानों पर दुश्मन के टैंकों, बंकरों और ड्रोनों को नष्ट करने में सक्षम है। इसमें रडार से बचने की आधुनिक तकनीक, मजबूत कवच और रात में हमला करने की जबर्दस्त क्षमता है। इसमें दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन पर संचालन की पूर्ण क्षमता है।
एलयूएच के बारे में जनरल पांडेय ने कहा कि सेना में इस श्रेणी के लगभग 250 हेलीकाप्टरों की जरूरत है। उन्होंने बताया कि हेलीकाप्टर की निर्माता एचएएल इसमें आटो पायलट फीचर समेत अन्य क्षमताओं में वृद्धि करने पर काम कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सेना को अमेरिकी अपाचे हेलीकाप्टरों की पहली खेप अगले वर्ष की शुरुआत में मिलने की संभावना है।
एलएसी पर चीन द्वारा अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने कहा कि सेना ने पूर्वोत्तर में दो इलेक्ट्रानिक वारफेयर बटालियनों का गठन किया है और वे काम कर रही हैं। अमेरिका और कनाडा में चीन द्वारा निगरानी गुब्बारों के इस्तेमाल संबंधी सवाल पर जनरल पांडेय ने नई तकनीकों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत को रेखांकित किया।
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