केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने सोमवार को धर्मशाला में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती के अवसर पर एक आधिकारिक समारोह का आयोजन किया। इस दौरान निर्वासित तिब्बतियों ने कहा कि चीन को महात्मा गांधी से सीखने की जरूरत है।
निर्वासित तिब्बती सरकार के मंत्री और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के कर्मचारी उत्तर भारतीय पहाड़ी शहर धर्मशाला में निर्वासित सरकार के मुख्यालय गंगकी पार्क में एकत्र हुए। यहां सभी ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। साथ ही तिब्बत की शांति के लिए प्रार्थना की।
अंहिसा का मार्ग अपनाएं
निर्वासित तिब्बती सरकार की शिक्षा मंत्री डोलमा थरलाम ने महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्य के मार्ग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनके विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा, ‘गांधी जी ने अहिंसा और सत्य के मार्ग को अपनाकर बहुत कुछ किया है। मुझे लगता है कि इसने हम तिब्बतियों के लिए एक बड़ा उदाहरण स्थापित किया है कि हम अपने देश को कैसे वापस पा सकते हैं।’
एक दिन चीन भी समझेगा
थरलम ने उम्मीद जताई कि किसी दिन चीन यह भी सीखेगा कि वह चाहे जो भी नीतियां अपनाए, तिब्बतियों की शक्ति को आसानी से नहीं समझा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि समय आएगा और चीन निश्चित रूप से सीखेगा और यह भी समझेगा कि वे चाहे जो भी नीतियां अपना ले, लेकिन तिब्बतियों की सोच को आसानी से नहीं समझा सकता है।
दुनिया के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण
निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोलमा त्सेरिंग ने इस बात पर जोर दिया कि गांधी जयंती को पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा, ‘यह तिब्बतियों और दुनिया भर के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इस दिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और अहिंसा का मतलब न केवल भाषण से शारीरिक अहिंसा या दूसरों के प्रति अपनी सोच के आधार पर है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।’
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