नई दिल्ली | डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति मंदिर के लड्डू के घी में कथित चर्बी के मामले में एसआईटी गठित कर जांच के निर्देश दिए हैं. इस एसआईटी में सीबीआई और राज्य पुलिस के दो-दो अधिकारी और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया का एक अधिकारी होगी.
कोर्ट ने कहा कि जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यह आदेश मंदिर के लाखों भक्तों की चिंताओं को दूर करने के लिए दिया गया है. साथ ही स्पष्ट किया कि यह राज्य सरकार द्वारा गठित मूल एसआईटी की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाता.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने आरोपों की योग्यता के बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है.
मामले की न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की, “हम इस न्यायालय को राजनीतिक युद्ध के मैदान के रूप में इस्तेमाल नहीं होने देंगे.”
30 सितंबर को पिछली सुनवाई में न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा की गई सार्वजनिक टिप्पणियों की आलोचना की थी और केंद्र से इस बारे में राय मांगी थी कि क्या केंद्रीय जांच आवश्यक है. शुक्रवार की कार्यवाही के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्वीकार किया कि यदि आरोप सत्य हैं, तो वे अस्वीकार्य हैं.
हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार द्वारा गठित मौजूदा एसआईटी की क्षमता और स्वतंत्रता का बचाव किया. मेहता ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार का कोई अधिकारी जांच की निगरानी कर सकता है.
न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन के साथ पीठासीन न्यायमूर्ति बीआर गवई ने नायडू के सार्वजनिक बयान के निहितार्थों पर सवाल उठाया, जिसे मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था.
तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी) का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायालय को समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर भरोसा न करने की सलाह दी, तथा तर्क दिया कि मीडिया ने टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों को भी गलत तरीके से प्रस्तुत किया है.
सांसद और टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की पिछली टिप्पणियों के कारण राज्य एसआईटी से समझौता किया जाएगा.
सिब्बल ने आग्रह किया, “यह सबसे अच्छा होगा यदि माननीय स्वतंत्र जांच का आदेश दें.”
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणियों ने पहले ही जांच को प्रभावित किया है.
बहस में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की एक प्रयोगशाला रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई जिसका उल्लेख मुख्यमंत्री नायडू ने अपने सितंबर के बयान में किया था.
सिब्बल ने रिपोर्ट की व्याख्या को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि इसमें पशु वसा की नहीं बल्कि वनस्पति वसा की उपस्थिति का उल्लेख किया गया है.
निष्कर्ष में, न्यायालय ने एक नई एसआईटी के गठन का आदेश दिया, जिसमें सीबीआई और आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस के सदस्य तथा एक वरिष्ठ एफएसएसएआई अधिकारी शामिल होंगे.
न्यायालय ने कहा, “हम नहीं चाहते कि यह मामला राजनीतिक नाटक में बदल जाए. एक स्वतंत्र निकाय विश्वास जगाएगा.”
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, वाईवी सुब्बा रेड्डी, सुरेश चव्हाणके और डॉ. विक्रम संपत द्वारा दायर याचिकाओं सहित, न्यायालय के आदेश के बाद निपटारा कर दिया गया.
ये आरोप मुख्यमंत्री नायडू द्वारा एक प्रयोगशाला रिपोर्ट के आधार पर दिए गए सार्वजनिक बयान से उत्पन्न हुए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि तिरुमाला मंदिर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी के नमूनों में गोमांस की चर्बी और मछली के तेल सहित विदेशी वसा मिलाई गई थी.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू को बिना जांच के मीडिया में घी में चर्बी होने का बयान देने की कड़ी आलोचना की थी.
तब से इस मुद्दे की अधिक जवाबदेही और गहन जांच की मांग करते हुए कई याचिकाएँ दायर की गई हैं, जिसने भक्तों को बहुत चिंतित किया है.
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