जय प्रकाश साहू@बलौदाबाजार। आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को आजादी नहीं मिल पाई है। आज भी दबंगो सहित गांव का मुखिया हर छोटी सी छोटी बातों पर गरीब परिवार का हुक्कापानी बंद कर अछूता व्यवहार करने से नहीं चूक रहा हैं। हम बात कर रहे है बलौदाबाजार जिले के कसडोल जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम धौराभाटा की। चार अलग- अलग परिवारों की जहां सरपंच और गांव प्रमुखों की बात न मानने की सजा कुछ इस तरह मिला की हुक्का पानी बंद कर दिया गया हैं। वही पीड़ित पक्ष न्याय की गुहार में कभी जिला मुख्यालय तो कभी अनुविभागीय अधिकारी तो कभी थाने की चक्कर लगाते फिर रहे हैं।
बहिष्कृत और हुक्कापानी बंद से तंग गरीब चार परिवार सरकारी दफ़्तरों के दरवाजा खटखटाने को मज़बूर
गांव से बहिष्कृत और हुक्कापानी बंद से तंग गरीब चार परिवार आज मानसिक परेशानियों से लड़ते हुए न्याय के लिए सरकारी दफ्तरों का दरवाजा खटखटाने को मजबूर है, वही पूरे मामले में सरपंच ने पहले मीडिया के सामने आने से बच रहे थे। जब हार मानकर मीडिया के सामने पहुंचे और खुद का बचाव करते हुए किसी को भी बहिष्कृत न करने की बात कहीं। साथ ही हुक्कापानी बंद न करने की बात कही। साथ ही सरपंच ने खुद का बचाव और गांव के चार परिवारों पर ही इल्जाम लगाते हुए कहा कि चारों परिवार गांव के नियमों का न तो पालन करते हैं न ही कोई समाजिक मीटिंग में उपस्थिति देते हैं और न ही गांव में किसी प्रोग्राम में पैसों का सहयोग करते हैं। जिसके चलते उन्हें थोड़ी सी सजा दी गई हैं, लेकिन समझ से परे आखिर सजा देने का अधिकार सरपंच या गांव के चिह्नित व्यकितयों को दिया किसने.
पूरे मामले में नायब तहसीलदार पंकज कुमार बघेल ने मामले की गम्भीरता को देखते अनुविभागीय अधिकारी से चर्चा करने की बात कही। साथ ही पीड़ितों को जल्द न्याय भी दिलाने आश्वासन दिया गया,।