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निजी क्षेत्र और नागरिक समाज, शिक्षा में बदलाव के लिए ‘निपुण भारत मिशन’ के समर्थन में आगे आए

मुंबई, ।अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर निजी क्षेत्र और नागरिक समाज ने मिलकर भारत में 5 साल में करीब 40 लाख बच्चों के जीवन को छूने के लिए ‘लिफ़्टएड’ नाम से एक पहल की है। इस पहल के तहत फ़ाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमरेसी (एफ़एलएन) यानी बुनियादी साक्षरता और संख्या-परिचय जैसी आधारभूत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ‘लिफ़्टएड’ में शामिल संस्थान भारत के शिक्षातंत्र को मजबूत करने, युवाओं की क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ लाखों लोगों के जीवन में सुधार लाने का काम कर रहे हैं।

 

भारत सरकार का मूलभूत साक्षरता और संख्याओं के सीखने-सिखाने पर खासा ज़ोर है। 2021 में सरकार ने ‘निपुण भारत मिशन’ की शुरूआत की, जिसका लक्ष्य 2026-27 तक 4-10 साल की आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को मूलभूत साक्षरता देना और संख्याओं से परिचित कराना है। सरकार मानती है कि निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के सहयोग से इन लक्ष्यों को गुणात्मक रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ‘लिफ़्टएड’ के लिए करीब 166 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा किया जा रहा है। साथ ही शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी इस पहल में साथ जोड़ा गया है।

 

एटलेशियन फ़ाउंडेशन, ब्रिजेज़ आउटकम्स पार्टनरशिप्स, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट, मैत्री ट्रस्ट, द माइकल एंड सुसन डेल फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, यूबीएस ऑप्टिमस फाउंडेशन और यूएस एड जैसे संस्थापक भागीदार ‘लिफ़्टएड’ का संचालन करेंगे। ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट इस प्रोग्राम का लीडर है। सेंट्रल स्क्वेयर फ़ाउंडेशन और डैलबर्ग एडवाइज़र्स इसके डिज़ाइन और तकनीकी पार्टनर हैं।

 

ऐसा माना जाता है कि फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (एफ़एलएन) यानी मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान से बच्चा कक्षा तीन के अंत तक बुनियादी पाठ पढ़ने, उसे समझने और बुनियादी गणितीय समस्याओं को हल करने में सक्षम हो जाता है। इसी आधारशिला के दम पर बच्चे का पूरा जीवन आकार लेता है। अगले 5 वर्षों में ‘लिफ़्टएड’ इस अवधारणा को और मज़बूत करेगा। ‘लिफ़्टएड’ ज़मीनी स्तर पर (ऑन-ग्राउंड) काम करने के साथ साथ उन घरों के दरवाजों पर भी दस्तक देगा, जहां इसकी सबसे ज़्यादा जरूरत है।

 

हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘लिफ़्टएड’ के ऑन-ग्राउंड एजुकेशन पार्टनर – राज्य सरकारों और स्कूलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ताकि उन्हें प्रशिक्षित किया जा सके और सार्वजनिक स्कूल के कक्षा 1-3 तक के बच्चों की मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान (एफ़एलएन) का स्तर बढ़ाने में मदद की जा सके। बड़े पैमाने पर बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए, शिक्षा को प्रभावित करने वाले हितधारकों के साथ काम करना महत्वपूर्ण है। कैवल्य एजुकेशन फाउंडेशन, लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन, पीपल, और प्रथम एजुकेशन फ़ाउंडेशन जैसे शिक्षा भागीदार, सिस्टम को बदलने में लगे हैं। इस प्रकार, प्रशिक्षण ब्लॉक और ज़िला अधिकारी, स्कूल प्रिंसिपल और शिक्षक ‘लिफ़्टएड’ के माध्यम से अधिक से अधिक जीवनों पर सकारात्मक प्रभाव डालने में मददगार हो सकते हैं, क्योंकि प्रत्येक प्रशिक्षित व्यक्ति, छात्रों के कई बैचो तक पहुंचकर अपनी छाप छोड़ सकता है।

 

साथ ही ‘लिफ़्टएड’ ने भारत में कम आय वाले परिवारों के छात्रों के एफ़एलएन में सुधार के लिए डिजिटल समाधान विकसित करने के लिए एक एडटेक एक्सेलेरेटर भी लॉन्च किया है। आठ इनोवेटिव पार्टनर – अमीरा लर्निंग, चिम्पल, ईआय माइंडस्पार्क, प्रथम एजुकेशन फ़ाउंडेशन, रॉकेट लर्निंग, सेसमी वर्कशॉप, थिंकज़ोन और टॉप पेरेंट – को एक कठोर चयन प्रक्रिया के बाद एडटेक एक्सेलेरेटर का हिस्सा बनने के लिए चुना गया है। वे उच्च-गुणवत्ता और प्रासंगिक समाधान विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एक्सेलेरेटर के माध्यम से उनको मेंटरशिप, क्षमता निर्माण कार्यशालाओं और फंडिंग के रूप में लगातार समर्थन दिया जा है।

 

‘लिफ़्टएड’ को परिणाम-आधारित वित्तपोषण के सिद्धांत पर डिज़ाइन किया गया है। इसका फ़ोकस सहयोग, पैमाना, नवाचार और मापने योग्य परिणामों पर है। बच्चों में परिवर्तनकारी बदलाव इसके केंद्र में है।

 

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वैश्विक साझेदारों के गठबंधन की कुछ टिप्पणियां:

 

मार्क रीडिंग, हेड, एटलेशियन फ़ाउंडेशन ने कहा, “‘लिफ़्टएड’ हमारा प्रेरणास्रोत है क्योंकि इसमें ऐसे कई तत्व शामिल हैं जो ​शिक्षा-क्षेत्र पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। जैसे गतिविधि के बजाय प्रभाव पर अधिक ध्यान देना, सरकार की सक्रिय भागीदारी और बेहतरीन टीम द्वारा कामकाज के प्रभावी तरीकों की स्केलिंग। हम उम्मीद करते हैं कि ‘लिफ़्टएड’ और उसके सहयोगी संगठन पूरे भारत में लाखों बच्चों का जीवन बदलने वाले एफएलएन परिणाम प्रदान करेंगे।”

 

अमित शाह, निवेश निदेशक, ब्रिजेज़ आउटकम्स पार्टनरशिप्स ने कहा, “हम ‘लिफ़्टएड’ की संभावनाओं को लेकर बेहद उत्साहित हैं। हमारा मानना ​​है कि सिस्टम के स्तर पर बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक कौशल में सुधार करके अगले चार वर्षों में भारत के लाखों बच्चों के जीवन पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला जा सकता है। साथ ही देश में शिक्षा के भविष्य को आकार देने का काम भी किया जा सकता है। ‘लिफ़्टएड’ हमारी कुछ सबसे गंभीर चुनौतियों के लिए प्रभावी समाधान बन रहा है। यह हमारी सामूहिक ताकत का एक बड़ा उदाहरण है। परिणाम-आधारित परियोजनाओं को लागू करने के एक दशक से अधिक समय के अनुभव का निचोड़ हम साझा करना चाहते हैं। एसडीजी आउटकम इनिशिएटिव को ज़मीन पर उतारने में हमारी मदद करने के लिए हम अपने भागीदारों के आभारी हैं।“

 

भरत विश्वेश्वरैया, कार्यकारी निदेशक भारत, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट ने कहा, “‘लिफ़्टएड’ लाखों बच्चों सीखने का सही तरीका सिखिएगा ताकि उन्हें जीवन में आगे भी मदद मिलेगी। इस पहल को संकल्पना से कार्यान्वयन तक संचालित करके और अनुभवी वैश्विक भागीदारों का एक गठबंधन बनाकर ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट ने स्केलेबल और टिकाऊ तरीके से मूलभूत शिक्षा को मज़बूत करने का अवसर बनाया है। भारत में शिक्षा-क्षेत्र में पिछली सफलताओं से मिली सीखों को लागू करते हुए, हमने सिस्टम-परिवर्तन पद्धति को शामिल किया है। साथ ही हमने भारत सरकार के लक्ष्यों के साथ जुड़ने के मूल्य को पहचाना है और शुरुआत से ही प्रौद्योगिकी की शक्ति को अनलॉक किया है।”

 

ल्यूक एस्पिनॉल, सीईओ, मैत्री ट्रस्ट ने कहा, “‘लिफ़्टएड’ प्राथमिक विद्यालय प्रणालियों और मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल में सुधार के हमारे रणनीतिक लक्ष्यों के साथ जुड़ा हुआ है। ये बड़े पैमाने पर शिक्षार्थियों के परिणामों में सार्थक सुधार करके, कई महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। पहल का ध्यान प्रणालीगत बदलावों पर केंद्रित है, शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनों को बच्चे पर पड़ने वाले प्रभाव से जोड़ना, भविष्य के प्रणालीगत क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों के लिए गेम-चेंजिंग साबित हो सकता है। 40 लाख बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ, हमारा मानना है कि इस सहयोगात्मक पहल में शामिल होने से प्रगति में तेजी आएगी, जो अलग-अलग हासिल किए गए लक्ष्यों से अधिक होगी।

 

प्राची जैन-विंडलास, सीनियर डायरेक्टर, इंडिया प्रोग्राम्स, द माइकल एंड सुसन डेल फ़ाउंडेशन ने कहा, “द माइकल एंड सुसन डेल फ़ाउंडेशन को ‘लिफ़्टएड’ कंसोर्शियम के साथ साझेदारी करने पर गर्व है, जो सरकारी स्कूलों में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक परिणामों को बेहतर बनाने और मुख्यधारा में लाने का एक साहसिक इकोसिस्टम इनिशिएटिव है। यह पहला विकास कार्यक्रम होगा जहां शामिल गैर-लाभकारी संगठन सीधे हस्तक्षेप करने के बजाय सरकारी स्कूल प्रणाली में क्षमता निर्माण करके परिणाम प्राप्त कर रहे हैं। डेल फ़ाउंडेशन हमेशा ऐसी नई परियोजनाओं का समर्थन करता रहा है जो बच्चों के जीवन पर बड़ा प्रभाव डालने में सिस्टम की मदद करती हैं। हम इस यात्रा पर चल रहे सभी भागीदारों की सफलता की आशा करते हैं।”

 

जगन्नाथ कुमार, सीईओ, रिलायंस फ़ाउंडेशन ने कहा, “बच्चों के सीखने की यात्रा में एक मज़बूत शुरुआत उनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करती है, जहां वे अपनी क्षमता का पूरी तरह से एहसास कर सकते हैं। रिलायंस फाउंडेशन इस दृष्टिकोण को उन सभी कंसोर्शियम भागीदारों के साथ साझा करता है जो लिफ्टएड लॉन्च करने और मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान में सीखने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आए हैं। । ‘लिफ़्टएड’ के कंसोर्शियम की सामूहिक शक्ति और अनुभव को एक साथ लाना और भारत सरकार के निपुण भारत के साथ जुड़ना, पूरे भारत में लाखों बच्चों के लिए कायाकल्प करने वाला प्रयास साबित हो सकता है।”

 

करुणा भाटिया, हेड ऑफ सस्टेनेबिलिटी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक इंडिया और ग्लोबल बिज़नस सर्विसेज़ ने कहा, “हमारी कंपनी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के उन क्षेत्रों में काम करती है जिनमें हम पहले से काम कर रहे हैं और ‘लिफ़्टएड’ इससे सीधे तौर पर जुड़ता है। इस अनूठी पहल के माध्यम से, हम भारत-भर के लाखों बच्चों के लिए, भारत सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में पहचानी जाने वाली मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता को मज़बूत करेंगे, जिससे दूरगामी और दीर्घकालिक प्रभाव पैदा होगा।

 

धुन डावर, हेड, सोशल फाइनेंस, यूबीएस ऑप्टिमस फ़ाउंडेशन एंड हेड, सोशल इम्पैक्ट एंड फ़िलांथ्रोपी, भारत और मध्य पूर्व, ने कहा,हमारे अनुभव में, परिणाजम-आधारित वित्तीय सहायता भारत सहित दुनिया भर के लाखों स्कूली बच्चों के लिए सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने का एक प्रभावी तरीका हो सकती है। भारतीय शिक्षा क्षेत्र के मज़बूत ट्रैक रिकॉर्ड के दम पर, हम ‘लिफ़्टएड’ को लॉन्च करने और कक्षा-आधारित और होम-स्कूलिंग टूल दोनों का उपयोग करके बुनियादी संख्यात्मकता और साक्षरता कौशल को मजबूत करने के, अपने भागीदारों के प्रयासों से जुड़कर खुश हैं।

 

वीणा रेड्डी, मिशन निदेशक, यूएसएआईडी/भारत ने कहा,दुनिया भर में, यूएस एड गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और साक्षरता कार्यक्रमों का समर्थन करता है, जो अधिक न्यायसंगत और समृद्ध वैश्विक भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। भारत में, यूएस एड नवोन्मेषी और स्केलेबल समाधानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करता है, जिनकी स्थानीय पहुंच होगी और इसका वैश्विक प्रभाव हो सकता है। ‘लिफ़्टएड’ भारत और दुनिया के भविष्य में निवेश कर रहा है और यूएस एड को इसका समर्थन करते हुए खुशी हो रही है।“

 

श्वेता शर्मा-कुकरेजा, सीईओ एंड एमडी, सेंट्रल स्क्वेयर फ़ाउंडेशन ने कहा,‘लिफ़्टएड’ भारत में स्कूलों और घर दोनों में बड़े पैमाने पर एफ़एलएन परिणामों में सुधार लाने के के मुख्य मिशन के साथ करीब से जुड़ा है। ‘लिफ़्टएड’ का एक प्रमुख घटक है, एडटेक एक्सेलेरेटर; इसके माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले एडटेक सॉल्युशन का विकास किया जाता है। भारत में कई एडटेक संगठनों में से बहुत कम मूलभूत शिक्षा पर ध्यान देते हैं। कम आय वाले उपयोगकर्ताओं के लिए काम करने वाले तो और भी कम हैं। ‘लिफ़्टएड’ एक्सेलेरेटर इस समस्या के हल के लिए एक अनोखा दृष्टिकोण अपनाता है जिसमें विविध, नवोन्मेषी एडटेक समाधान और घर पर सीखने की मांग को बढ़ाकर निपुण भारत के शिक्षण लक्ष्यों को प्राप्त करने में सार्थक योगदान दे रहा है।

 

डेयॉन्ग ली, पार्टनर, डेलबर्ग ने कहा, “महामारी ने भारत में सीखने-सिखाने के संकट को बढ़ा दिया था, पर अब सरकार के ‘निपुण भारत मिशन’ के माध्यम से मूलभूत शिक्षा में तेजी लाने के नए अवसर पैदा हुए हैं। ‘लिफ़्टएड’ प्रभावी स्कूल-आधारित समाधानों और नवीन घरेलू-आधारित एडटेक समाधानों के दम पर तेज़ी से काम कर रहा है। डेलबर्ग इस महत्वाकांक्षी पहल का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं – सरकारी सिस्टम्स के माध्यम से काम करते हुए अभूतपूर्व परिणामों को हासिल किया जा सकता है। मेरा मानना है कि बड़े पैमाने पर प्रभाव हासिल करने की दिशा में यह हमारा सबसे अच्छा प्रयास है।”

 

साझेदार एक नज़र में

 

संस्थापक भागीदार:

एटलेशियन फ़ाउंडेशन, ब्रिजेज़ आउटकम्स पार्टनरशिप्स, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट, मैत्री ट्रस्ट, द माइकल एंड सुसन डेल फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, यूबीएस ऑप्टिमस फाउंडेशन और यूएसएआईडी।

 

डिज़ाइन और तकनीकी भागीदार:

ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट (प्रोग्राम लीडर), सेंट्रल स्क्वेयर फ़ाउंडेशन और डैलबर्ग एडवाइज़र्स

 

शिक्षा भागीदार:

ऑन-ग्राउंड: कैवल्य एजुकेशन फाउंडेशन, लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन, पीपल, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन

एट होम: अमीरा लर्निंग, चिम्पल, ईआई माइंडस्पार्क, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन, रॉकेट लर्निंग, सेसम वर्कशॉप इंडिया, थिंकज़ोन और टॉप पेरेंट

 

मूल्यांकन भागीदार:

ऑन-ग्राउंड: कन्वेजीनियस इनसाइट्स, डेवलपमेंट सॉल्यूशंस

एट होम: शैक्षिक पहल, संबोधि, प्रोफेसर तरुण जैन (आईआईएम अहमदाबाद), एडटेक एक्सेलेरेटर मूल्यांकन अध्ययन के प्रधान अन्वेषक

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