रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक दौरे ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में खलबचली मचा दी है। मोदी यहां मजह दो घंटे ही रुके थे, लेकिन दो दिन से प्रदेश की पूरी राजनीति उन्हीं के इर्द गिर्द सिमट कर रह गई है। पूरी कांग्रेस कल से ही मोदी के बयानों का जवाब देने में व्यस्त है। वहीं भाजपा चुनावी रोड मैप तैयार करने में जुट गई है।
इन सब के बीच भाजपा के कुछ नेता बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। उनकी चिंता की वजह प्रधानमंत्री मोदी का एक ट्वीट है। दरअसल, रायपुर की सभा खत्म होने के बाद मोदी के ट्विटर हैंडल से चार तस्वीरें ट्वीट की गई। इनमें एक सभा को कवर कर रहे मीडिया कर्मियों की और दो सभा में आई भीड़ की थी। चौथी तस्वीर मंच की थी। इसी चौथी तस्वीर से भाजपा के कई नेताओं का टेंशन बढ़ हुआ है। वहीं, राजनीति के गरियारों में इसे प्रदेश भाजपा की भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
समझे फोटो का अंतर- जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया है।
जानिए…आखिर ऐसा क्या ट्वीट कर दिया है मोदी ने
साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित सभा के मंच पर पीएम मोदी का प्रदेश की परंपरागत गौर मुकुट पहनाकर स्वागत किया गया। पीएम मोदी ने जो चौथी तस्वीर ट्वीट की है, वह उसी अवसर की है। यह गौर मुकुट वरिष्ठ आदिवासी नेता राम विचार नेतामा और विष्णुदेव साय ने पीएम को पहनाया। पीएम को जब यह गौर मुकुट पहनाया जा रहा था जब मंच पर सभी नेता मौजूद थे। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पीएम को मुकुट पहना रहे नेताम से लगभग चीपक कर खड़े थे। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष साव के बेहद नजदीक खड़े थे, लेकिन पीएम ने जो तस्वीर ट्वीट की उसमें अगल-बगल के सभी नेता गायब हैं। उस तस्वीर में पीएम के एक तरफ साव और दूसरी तरफ नेताम ही नजर आ रहे हैं। साफ है कि फोटो पोस्ट करने से पहले पीएम ने उसे क्रॉप (काटा) किया है।
समझे फोटो का अंतर- और यह उस वक्त की पूरी तस्वीर है।
राजनीतिक विश्लेषक मान रहे बड़ा संकेत
पीएम मोदी की इस चौथी तस्वीर को राजनीतिक विश्लेषक बड़ा संकेत मान रहे हैं। कहा यहां तक जा रहा है कि पीएम ने प्रदेश भाजपा की राजनीति में आदिवासी नेताओं को आगे करने का स्पष्ट संकेत दिया है। अब यह भी संयोग है कि जिन दो नेताओं की तस्वीर पीएम के साथ है उनमें से साय पूर्व सीएम डॉ. रमन के बेहद करीबी माने जाते हैं। वहीं, नेताम उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने डॉ. रमन के मंत्रिमंडल में रहते हुए आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग दिल्ली तक बुलंद कर दी थी।
प्रदेश के सामाजिक समीकरण के साथ पार्टी को सैट करने की कोशिश
प्रदेश की राजनीति में आदिवासी और ओबीसी वर्ग की बड़ी भूमिका है। सत्ता रुढ़ कांग्रेस ने प्रदेश के इस सामाजिक समीकरण को सैट करके रखा है। सीएम भूपेश बघेल ओबीसी वर्ग से हैं तो पार्टी की कमान आदिवासी नेता मोहन मरकाम के हाथों में। 15 साल तक प्रदेश की सत्ता में रही भाजपा भी इसी फार्मूले पर चलती थी। हालांकि डॉ. रमन सामान्य वर्ग के हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी वर्ग से ही बनाए गए। सत्ता हाथ से जाने के बाद भी विष्णुदेव साय को अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन संगठन में पकड़ कम होने की बात कह कर उनके स्थान पर साव को कमान सौंप दी गई।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार 2018 में भाजपा के हाथ से सत्ता निकलने की सबसे बड़ी वजह आदिवासी वोटर की नाराजगी थी। आदिवासी सीटों की बहुलता वाले बस्तर और सरगुजा संभाग में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। सरगुजा में एक भी सीट हाथ नहीं आई, जबकि बस्तर में एक सीट जीते भी थे तो वह भी उप चुनाव में हाथ से निकल गई। इसी वजह से भाजपा को सबसे ज्यादा चिंता आदिवासी वोट बैंक की है।
चर्चा यह है कि पीएम मोदी ने एक सोची- समझी रणनीति के तहत वह फोटो ट्वीट किया है। इस फोटो के जरिये पीएम ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आने वाले समय पार्टी में आदिवासी नेताओं का महत्व बढ़ेगा।