रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ बीज निगम ने इस साल धान समेत दलहन-तिलहन के बीज के दामों में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है. धान के बीजों की कीमत में ही 576 रुपए से लेकर 1056 रुपए तक का इजाफा किया गया है.
दलहन और तिलहन के दाम में भी भारी वृद्धि की गई है. तिल के बीज की कीमत में सबसे ज्यादा 4416 रुपए और मूंगफली के बीज की कीमत में 2304 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है. जाहिर सी बात है, इसका असर किसानों की जेब पर पड़ेगा और किसानी मंहगी हो जाएगी.
प्रदेश में सरकार बदलते ही धान का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 3100 कर दिया गया है. धान का मूल्य बढ़ते ही कृषि उपकरण के साथ खाद- बीज के दाम बढ़ा दिए गए हैं.
सरकार ने बीज के दामों को एकतरफा बढ़ा कर किसानों का बजट ही बिगाड़ दिया है.
बीज निगम ने इस साल धान, दलहन, तिलहन, सोयाबीन सहित सभी बीजों के दामों में बढ़ोत्तरी की है.
पिछले कुछ सालों से किसानों को अपने बनाए बीजों से ज्यादा खरीद कर लाए प्रमाणित बीजों पर विश्वास है. इसलिए वे बीज बना ही नहीं रहे हैं, जिस वजह से बीजों के दाम आसमान छू रहे हैं.
मोटे धान का बीज पिछले साल तक 2688 रुपए में मिल रहा था, वहीं इस साल इसका भाव बढ़कर 3264 रुपए हो गया है. वहीं पतले धान के बीज की कीमत 2880 से 3744 रुपए और सुगंधित धान के बीज की कीमत 3264 से बढ़कर 4320 रुपए हो गई है.
इसी तरह उड़द के बीज 9840 से बढ़कर 12000, मूंग 9696 से बढ़कर 10752, सोयाबीन 7776 से बढ़कर 7872, मूंगफल्ली 9120 से बढ़कर 11424, तिल 14112 से बढ़कर 18524, रामतिल 10608 से बढ़कर 12480, ढेंचा 8016 से बढ़कर 9504, सनई 7488 से बढ़कर 11136 रुपए हो गया है.
बीज निगम ने प्रत्येक बीज के दाम में पांच सौ रूपये प्रति क्विटंल से अधिक की वृद्धि की है.
बारिश की बैछारें पड़ते ही प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में बुआई का काम तीव्र गति से चालू हो गया है. किसान रोपाई के लिए नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं. जून माह तक प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बुआई का काम आधा से भी अधिक हो गया है. कुछ जिले ऐसे हैं जहां अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई वहीं बुआई का काम पिछड़ा हुआ है.
चालू खरीफ वर्ष में 48.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों का बोनी का लक्ष्य रखा गया है. कृषि विभाग का कहना है कि इस साल खरीफ फसल के लिए प्रदेश में 9.78 लाख क्विंटल प्रमाणित बीच वितरण का लक्ष्य रखा गया था.
बीज निगम द्वारा इस साल बीज के दामों में भारी वृद्धि से किसानों में नाराजगी है.
किसानों का कहना है कि जितना धान का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ा है, उससे कहीं ज्यादा बीज और खाद के दामों को बढ़ाया गया है. किसानों को बीज के अलावा जोताई के लिए ट्रैक्टर, रोपाई, खाद, दवाई की भी जरूरत पड़ती है. इन सबके दाम भी बढ़ गए हैं.
किसान हर काम समय पर करना चाहते हैं. इसीलिए किसान मशीन का उपयोग कर जोताई, बुआई, कटाई व मिसाई कर रहे हैं. इससे समय बचता है, पर कुछ काम आज भी ऐसे हैं, जिसे मजदूर से ही कराना पड़ता है, लेकिन मजदूर नहीं मिल रहे हैं और मिल भी रहे हैं तो बहुत अधिक मजदूरी की मांग करते हैं.
पुरूष मजदूरों की मजदूरी चार सौ रुपए और महिलाओं की मजदूरी 250 रुपए प्रतिदिन हो गई है.
किसानों का कहना है कि पिछले साल तक प्रति एकड़ में धान की रोपाई पांच हजार में हो जाती थी, लेकिन इस बार रोपाई बढ़कर सात हजार रुपए तक पहुंच गई है.
ट्रैक्टर प्रति घंटे जोताई के लिए आठ सौ रुपये लेते थे, जो अब हजार रुपए तक पहुंच गया है.
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