इन ट्रेनों में यात्रा करने के लिए यात्रियों को पासपोर्ट और वैध वीजा की जरूरत होती है। आइए जानते हैं उन ट्रेनों के बारे में जो यात्रियों को भारत से विदेश तक ले जाती है। इस लिस्ट में कई ऐसी ट्रेनें हो जो मोदी सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई।
भारत में रेल की यात्रा सबसे सुगम है। भारतीय रेलवे के जरिए हर दिन 2.31 करोड़ लोग सफर करते हैं। वहीं, एक दिन में 13 हजार से ज्यादा ट्रेनों की संचालन होती है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर असम तक भारतीय रेलवे के नेटवर्क फैले हुए हैं। हालांकि, कई पड़ोसी देशों की यात्रा करने के लिए भी देशवासी भारतीय रेलवे का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, पड़ोसी मुल्कों से लोग घूमने से लेकर इलाज के उद्देश्य से भारत आते हैं।
चाहे पाकिस्तान जाना हो या बांग्लादेश, कई ऐसीहो जो यात्रियों को एक देश से दूसरे देशों तक पहुंचाती है। आइए, आज कुछ उन ट्रेनों के बारे में जानने जिसके जरिए यात्री भारत से पड़ोसी मुल्क का सफर करते हैं।
यह ट्रेन भारत और बांग्लादेश के बीच चलती है। इस ट्रेन का शुभारंभ 14 अप्रैल 2008 को हुआ था। यह सप्ताह में एक बार चलती है। इस ट्रेन में छह डिब्बे हैं, जिसमें एक एसी-फर्स्ट क्लास और एक पैंट्री कार, एक एसी चेयर कार और दो एसी चेयर कार है। इस ट्रेन का संचालन दोनों देशों के बीच शानदार संबंध को दर्शाता है। यह ट्रेन भारत के कोलकाता से चलकर बांग्लादेश के गेदे तक जाती है।
भारत और बांग्लादेश के बीच मिताली एक्सप्रेस भी चल रही है। इस ट्रेन को भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और बांग्लादेश के रेलवे मिनिस्टर नुरुल इस्लाम सुजान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की। यह ट्रेन हफ्ते में दो दिन ही चलती है। भारत में ये ट्रेन शनिवार और रविवार को चलती है। वहीं, बांग्लादेश से ये ट्रेन सोमवार और ब्रहस्पतिवार को चलती है। ये ट्रेन पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी से बांग्लादेश के ढाका छावनी तक जाती है। इस ट्रेन का टिकट खरीदने के लिए पहले से वैध वीजा और पासपोर्ट की आवश्यकता होती है।
इस ट्रेन की शुरुआत साल 2017 में हुई थी। इस ट्रेन की टिकट को भी खरीदने के लिए वैध वीजा और पासपोर्ट होना जरूरी है। दोनों देशों के बीच चलने वाली बंधन एक्सप्रेस (कोलकाता – खुलना – कोलकाता) और मैत्री एक्सप्रेस (कोलकाता – ढाका – कोलकाता) आज शुरू हो गई है। बांग्लादेश से भारत आने वाले ज्यादातर यात्री घूमने-फिरने और इलाज के उद्देश्यों के लिए आते हैं।
बिहार के जयनगर से नेपाल के कुर्था तक जाने वाली ट्रेन की शुरुआत मोदी सरकार के कार्यकाल में हुई है। नेबर फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत इस ट्रेन की शुरुआत की गई। ये डीएमयू ट्रेन देनों देशों के बीच मैत्रिक संबंधों को दर्शाता है।
इस ट्रेन के किराए की बात करें तो जयनगर से जनकपुर स्टेशन तक जाने के लिए यात्री को 60 नेपाली रुपये लगते हैं, वहीं, भारतीय रुपये के अनुसार, टिकट की कीमत 37.50 रुपये खर्च होते हैं। वहीं, जयनगर से कुर्था तक सफर करने के लिए यात्रियों को 70 नेपाली रुपये लगते हैं। वहीं, भारतीय रुपये के अनुसार, टिकट की कीमत 43.75 रुपये हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली इस ट्रेन की शुरुआत 22 जुलाई साल 1976 को हुई थी। ये ट्रेन अटारी-वाघा के बीच केवल तीन किलोमीटर का रास्ता तय करती है। साल 1994 तक ये रोजाना संचालन में रहती थी, लेकिन साल 1994 के बाद ये हफ्ते में दो बार चलती है।
इस ट्रेन पर यात्रा करने के लिए वैध वीजा की जरुरत होती है। बता दें कि शिमला समझौता में हुए शांति संधि में समझौता एक्सप्रेस को चलाने का फैसला लिया गया गया था। हालांकि, 8 अगस्त 2019 के बाद इस ट्रेन की सेवा बंद कर दी गई।
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