रायपुर 10 जुलाई।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शराब घोटाले पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा.रमन सिंह पर पलटवार करते हुए उनसे पूछा हैं कि 2017 में नीति बदल कर देशी शराब की आपूर्ति के लिए जिन तीन शराब कम्पनियों को ही अनुमति दी गई थी,उनके साथ उनका क्या सम्बन्ध हैं।
श्री बघेल ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार ने सत्ता में आने के बाद शराब की नीति में कोई परिवर्तन नही किया और रमन सरकार की नीति को जारी रखा। वहीं दुकाने,वहीं सप्लायर और वहीं प्लेंसमेंट एजेन्सियां ही काम कर रही है। रमन सरकार ने 2017में नीति में परिवर्तन कर ठेके की व्यवस्था को बदलकर दुकानों का सरकारीकरण कर दिया था। उन्होने कहा कि डा.सिंह को बताना चाहिए कि उनकी सरकार ने इन तीन कम्पनियों के पक्ष में नीति क्यों बनाई,उनके इनके साथ क्या सम्बन्ध हैं।
उन्होने कहा कि 2020 फरवरी में आयकर छापे पड़ते है और फिर 2023 जुलाई में ईडी ने 2168 करोड़ रूपए के घोटाले की बात की है। ईडी का कहना है कि बगैर एक्साईज डियुटी पटाए हुए शराब फैक्ट्री से निकली। यह गंभीर मामला है,और उसके लिए सीधे तौर पर फैक्ट्री एवं आबकारी विभाग के इसकी निगरानी के लिए पदस्थ अधिकारी जिम्मेदार हैं।लेकिन ईडी ने किसी फैक्ट्री मालिक पर कोई कार्रवाई नही की और न ही उनकी अचल सम्पत्ति कुर्क की और न ही उनके बैंक खातों पर रोक लगाई।आखिर क्यों ?
श्री बघेल ने कहा कि उनकी सरकार ने बगैर एक्साईज डियूटी पटाए शराब फैक्ट्री से निकलने के मामले को संज्ञान में लिया है और तीनो फैक्ट्रियों के साथ ही सम्बन्धित आबकारी अधिकारियों को नोटिस जारी की गई है। उन्होने कहा कि राजस्व में अगर नुकसान हुआ है तो उसकी एक एक पाई वसूल की जायेंगी और किसी को बख्शा नही जायेगा।श्री बघेल ने कहा कि उनकी सरकार आने के बाद आबकारी राजस्व में रमन सरकार की तुलना में डेढ़ गुने से अधिक का इजाफा हुआ है। रमन सरकार के समय 2018 में शराब से 3900 करोड़ रूपए का राजस्व वसूल हुआ था जोकि बीते वित्त वर्ष में बढ़कर 6500 करोड़ से अधिक हो गया है।
उन्होने समर्थन मूल्य पर धान खरीद को लेकर भी भाजपा और डा.सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि झूठ बोलने की बजाय उन्हे सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए कि 15 वर्ष के शासनकाल में उनकी सरकार ने किसानों को लगातार ठगा। उन्होने कहा कि भाजपा ने 2013 में अपने घोषणा पत्र में किसानों से एक एक दाना धान खरीदने का वादा किया,तो उसने चुनाव जीतने के बाद 2014 में किसके कहने पर प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीद का निर्णय लिया था। जबकि इस समय तो डबल इंजन की सरकार हो गई थी। डा.सिंह को यह भी बताना चाहिए कि किसानों को पांचों वर्ष बोनस देने का वादा करने के बाद किसके कहने से दो साल बोनस देकर बन्द कर दिया था।
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