गुरुवार को रामनवमी की जुलूस के दौरान कुछ राज्यों में हिंसा और झड़प की घटनाएं देखने को मिली, जिसमें 22 लोग घायल हो गए और 54 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं।
संभाजीनगर, वडोदरा और हावड़ा में पथराव
महाराष्ट्र के छत्रपति में भीड़ ने एक मंदिर पर पत्थर और पेट्रोल से भरी बोतलें फेंकी, जिससे हिंसा भड़क गई और 10 पुलिसकर्मियों समेत 12 लोग घायल हो गए। मामले में पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा, गुजरात के वड़ोदरा और पश्चिम बंगाल के हावड़ा से भी पथराव की दो अलग-अलग घटनाएं सामने आईं।
जहांगीरपुरी में तनाव
दिल्ली के जहांगीरपुरी
इलाके में रामनवमी के जुलूस को लेकर तनाव देखने को मिला। हालांकि, पुलिस ने भारी सुरक्षा के बीच रैली की अनुमति दी। अन्य जगहों पर रामनवमी बिना किसी बड़े संघर्ष के शांतिपूर्वक संपन्न हुई।
मिली जानकारी के मुताबिक, संभाजीनगर के किरादपुर इलाके में राम मंदिर के पास गुरुवार तड़के पांच-पांच लोगों के दो समूह आपस में भिड़ गए। इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। कुछ देर बाद एक गुट वहां से चला गया। एक घंटे के बाद वहां भीड़ इकट्ठा हो गई और पुलिसकर्मियों पर पत्थर-पेट्रोल से भरी बोतलें फेंकनी शुरू कर दी। इससे इलाके की स्ट्रीट लाइटें भी खराब हो गईं, जिससे अंधेरा छा गया। इस दौरान 10 पुलिसकर्मी और दो अन्य घायल हो गए। पुलिस के 13 वाहनों को भी जला दिया गया। मामले में करीब 400-500 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बताया कि मलाड के मालवानी इलाके में ‘राम नवमी’ शोभा यात्रा के दौरान गुरुवार को दो समूहों के बीच हुई हाथापाई के बाद 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है। कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण थी, लेकिन अब नियंत्रण में है। इलाके में माहौल खराब करने के आरोप में 300 से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने इस घटना को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। उन्होंने कहा कि सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए। अगर कोई इस घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की आगामी रैली को परेशान करना था। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने कहा, “क्या यह दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने का प्रयास है? पुलिस को पूछताछ करनी चाहिए और मास्टरमाइंड का पता लगाना चाहिए। पुलिस को बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करना चाहिए।”
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