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राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के अंतर्गत जिला समन्वयकों एवं स्रोत शिक्षकों की एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला

रायपुर। छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन जिलाएवं राज्य पर प्रतिवर्ष किया जाता हैतथा राज्य स्तर पर चयनित बाल वैज्ञानिक राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाग लेकर अपने राज्य को गौरवान्वित करते है। यह कार्यक्रम 10 से 17 वर्ष के बच्चों को एक अवसर प्रदान करता है, जहां वे अपने वैज्ञानिक संकल्पनाओं को मुख्य विषय एवं उपविषयों पर शोध परियोजनाओं मॉडल आदि के द्वारा प्रस्तुत करते हैं। यह कार्यक्रम बच्चों को प्रयोग, आंकड़ा संकलन, शोध, विश्लेषण एवं नवाचार प्रक्रिया से परिणाम तक पहुंचकर स्थानीय समस्याओं का समाधानखोजने का अवसर प्रदान करता है।

इस कार्यक्रम के तारतम्य में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस-2023 के अंतर्गत ”पारिस्थितिक तंत्र, स्वास्थ्य एवं कल्याण” विषय पर जिला समन्वयकों एवं शिक्षकों की एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 8 अगस्त 2023 का रीजनल साईंस सेन्टर रायपुर में एस.एस. बजाज,महानिदेशक, छ.ग. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा रीजनल साईंस सेन्टर, रायपुर के मार्गदर्शन में किया गया।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डाॅ आरके सिंह, सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग, रायपुर तथा विशिष्ठ अतिथि डाॅ के सुब्रामनियम, सदस्य, राज्य योजना आयोग एवं पूर्व महानिदेषक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उपस्थित थे।

डाॅ के सुब्रामनियम, सदस्य, राज्य योजना आयोग एवं पूर्व महानिदेषक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने अपने उद्बोधन में उल्लेख किया कि पारिस्थितिक तंत्र का क्षय किस प्रकार हो रहा है तथा वैष्विक स्तर पर पारिस्थितिकी पुनरूद्धारके महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने को प्रोत्साहित करना एवं प्रयासो को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। आज वैष्विक स्तर पर मुख्य रूप से पारितंत्र, स्वास्थ्य एवं कल्याण प्राथमिक केन्द्र बिन्दु है जिन पर समाज को ध्यान देने की आवष्यकता है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा की छात्रों को महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार करने, समाज की भलाई के लिये नवीन विचारो के साथ विज्ञान की पद्धति का उपयोग कर समस्या को हल करने हेतुु प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिये।

डाॅ. आर.के. सिंह, सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग, रायपुर ने अपने उद्बोधन में उल्लेख किया कि पारिस्थितिक तंत्र में सभी जीव और भौतिक वातावरण सम्मिलित होते हैंयह एक् जटिल तंत्र है जिसे समझना आज के औद्योगिक युग में समझना एवं इसके सुधार के लिए काम करना अत्यंत आवश्यक है। परिस्थिकीय तंत्र की समझ के लिए सैद्धांतिक, व्यावहारिक एवं संस्कारिक ज्ञान की आवश्यकता है। यह ज्ञान शिक्षकों से अच्छा यह ज्ञान कोई नहीं डे सकता है। श्री सिंह ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे छात्रों को नवाचार के लिए प्रेरित करें एवं उन्हे पारस्परिक समन्वय से बहुविषयक परियोजना बनाने हेतु प्रेरित करें क्यों कि परिस्थिकीय तंत्र में सभी विषयों का समन्वय है एवं मानव के सभी कार्य से यह प्रभावित होता है।

एस.एस बजाज महानिदेशक, छ.ग. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर द्वारा अपने उद्बोधन में राज्य के विभिन्न जिलों से आये जिला समन्वयकों एवं शिक्षकों से आग्रह किया कि ”पारिस्थितिक तंत्र, स्वास्थ्य और कल्याण” मुख्य कथानक एवं उनके उप-विषयों से संबंधित अपने स्थानीय समस्याओं को चिन्हित कर उसके निराकरण हेतु नवाचारी परियोजनाओं के निर्माण हेतु मार्गदर्शन प्रदान करें जो भविष्य में समाज के लिये उपयोगी हो।

इसके पश्चात डाॅ. जे. के. राय, वैज्ञानिक “ई”. सीकाॅस्ट एवं राज्य समन्वयक द्वारा राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस की रूपरेखा एवं गाईडलाईन्स पर प्रकाश डाला गया।

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में मुख्य विषय एवं चिन्हित विभिन्न उपविषयों-अपने पारिस्थितिकी तंत्र को जाने; स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण को बढ़ावा देना;पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाएं; आत्मनिर्भरता के लिए पारिस्थितिकी तंत्र आधारित दृष्टिकोण; पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए तकनीकी नवाचार पर डाॅ. के. के. साहू, डाॅ. वी. के. कानूनगों, डाॅ. अभया जोगलेकर, डाॅ. दिपेन्द्र सिंह, डाॅ. मंजु जैन एवं डाॅ. भानुश्री गुप्ता द्वारा विस्तार प्रेजेन्टेशन प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसमें उन्होनें बताया कि बच्चों से विभिन्न चिन्हित उपविषयों पर कैसे परियोजनाएं स्थानीय समस्या के आधार पर बनाई जा सकती है। साथ ही नवीन परियोजनाओं के निर्माण ए प्रस्तुतिकरण पद्धति तथा मूल्यांकन प्रक्रिया से भी अवगत कराया।

कार्यशाला में राज्य के 33 जिलों के जिला समन्वयकों एवं स्रोत शिक्षकों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एवं रीजनल सांईस सेटर के वैज्ञानिक एवं अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अमित दुबे, वैज्ञानिक ‘डी‘ ने किया।

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