कोलकाता | विशेष संवाददाता: बांग्लादेश की कमान संभाली शेख़ हसीना अंतिम समय तक अपनी सत्ता को बचाने की कोशिश में थीं. उन्हें उम्मीद थी कि पुलिस के सहयोग से वे देश में उठे विरोध पर काबू पा लेंगी.
उन्होंने शनिवार को ढाका के आईजी पुलिस को बुला कर कहा कि वे अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन आईजी पुलिस ने उन्हें साफ़ कर दिया था कि पुलिस अब विरोधियों पर इससे अधिक सख्त रुख नहीं अपना सकती.
अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि पुलिस के दम पर विरोधियों को अब और दबा पाना संभव नहीं है. विपक्षी एकजुट हो रहे हैं और उनके साथ ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास पुलिस से लड़ने की पूरी क्षमता है.
लेकिन शेख़ हसीना इसे मानने के लिए तैयार नहीं थीं.
एक अधिकारी ने बताया कि शेख़ हसीना की ज़िद्द के बाद उनकी बहन शेख़ रेहाना से अलग कमरे में बात की गई और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया.
शेख़ हसीना ने अपनी बहन की बात को भी ठुकरा दिया.
अंततः शेख़ हसीना के बेटे सजीब वाज़ेद जॉय को कहा गया कि वो अपनी मां को समझाएं.
विदेश में बैठे सजीब वाज़ेद जॉय ने शेख़ हसीना को फ़ोन पर कहा कि वो तत्काल इस्तीफ़ा दें और देश छोड़ें.
सजीब वाज़ेद अपनी मां के मुख्य सलाहकार भी हैं. उनकी चेतावनी के बाद शेख़ हसीना इस्तीफ़े का मन बनाया.
अधिकारियों का कहना था कि शेख़ हसीना इसके बाद भी देश के नाम संबोधन देना चाहती थीं, लेकिन सेना ने साफ़ कर दिया था कि 45 मिनट के भीतर वो इस्तीफ़ा दे दें.
शेख़ हसीना को इस बात का तो अहसास था कि उन्हें निशाना बनाया जा सकता है लेकिन उन्हें यह भी भरोसा था कि किसी ने किसी तरह वह स्थिति को संभाल लेंगी.
लेकिन जब सेना ने 45 मिनट की चेतावनी दी तो उन्हें समझ में आ गया कि उनकी जान अब ख़तरे में है, इसके बाद वे इस्तीफ़ा दे कर भारत के लिए रवाना हुईं.
शेख हसीना ढाका से अपनी बहन शेख़ रेहाना के साथ हेलीकॉप्टर से त्रिपुरा के अगरतला पहुंचीं.
उसके बाद वे वहां से बांग्लादेश वायुसेना के एक विमान से दिल्ली से लगे हुए उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के हिंडन एयर बेस तक पहुंचीं.
कहा जा रहा है कि वे ब्रिटेन में शरण ले सकती हैं.
शेख़ हसीना की बहन शेख़ रेहाना पहले से ही ब्रिटेन की नागरिक हैं.
शेख़ रेहाना की बेटी और शेख़ हसीना की भतीजी, ट्यूलिप सिद्दीकी वर्तमान में ब्रिटेन में सत्तारूढ़ लेबर पार्टी की सांसद हैं.
ट्यूलिप यूके सरकार की शहर मंत्री हैं.
इधर शेख हसीना की बेटी साइमा वाजेद पुथुल काम के सिलसिले में दिल्ली में रहती हैं.
सजीब वाज़ेद जॉय ने कहा है कि बांग्लादेश को एक विकसित देश बनाना मेरी मां का सपना था और उन्होंने इसके लिए पिछले 15 वर्षों में कड़ी मेहनत की.
उन्होंने कहा कि अब वे 77 साल की हैं. अब वे अपने पोते-पोतियों के साथ समय बिताएंगी.
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