बिलासपुर। सहायक शिक्षकों की शिक्षक के पद पर पदोन्नति और शिक्षक से प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले में बड़ी राहत की बाते सामने आई थी ।
अब इसके उलट स्कूल शिक्षा विभाग ने शासन के महाधिवक्ता कार्यालय के अभिमत के आधार पर याचिकाकर्ता शिक्षको के लिए दीपावली जो तनख्वाह नही मिलने से सुनी थी अब काली भी हो गई है।
शिक्षको को अभिमत के आधार पर अब संशोधित शाला की बजाय काउंसलिंग में हुई पदांकित शाला में पद भार ग्रहण करने को कहा जा रहा है। पूर्व शाला मतलब संशोधित शाला नही मानी जा रही है।
इस अभिमत के आधार पर याचिकाकर्ता के वकीलों का कहना है कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या की जा रही है सीधे सीधे यह कोर्ट के फैसले की अवमानना का मामला है। सोमवार को कोर्ट खुलने पर अब अवमानन याचिका दायर की जाएगी।
इधर जानकारों का मानना है कि जानबूझ कर स्कूल शिक्षा विभाग ऐसे फैसले ले रहा है। उच्च न्यायालय का आदेश मंगलवार को आ गया था। न्यायालय के आदेश में लिखे फैसले जिसमे अंग्रेजी में लिखा था कि
justice it is directed that all the Petitioners be allowed to join at their previous place of posting so that their issue of salary could be resolved.
इस लाइन को आधार बनाते हुए शिक्षको काउंसलिंग में हुई पदांकित शाला में पद भार ग्रहण करने को कहा जा रहा है।रणनीति के तहत विभाग के अधिकारी शुक्रवार को अभिमत के आधार पर देर शाम तक अपना आदेश जारी कर दिये है
जिसकी वजह से याचिकाकर्ता के दर्जनों वकीलो को शिक्षको की ओर से रिट दायर करने का समय भरपूर समय नही मिल पाए। बताते चले कि शनिवार से उच्च न्यायालय में दीपावली अवकाश लग रहा है। सोमवार 20 नवम्बर को कोर्ट खुलेंगे। और मंगलवार तक शिक्षको को याचिकाकर्ता शिक्षको अपना अभ्यावेदन स्कूल शिक्षा विभाग में पेश करना है।
मालूम हो कि इस मामले में 15 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को स्कूल शिक्षा विभाग में अपना अभ्यावेदन जमा करना होगा। इसमें याचिकाकर्ता को यह छूट होगी कि उसने संशोधन के लिए जो प्रमुख आधार बताएं हैं उसे संबंधित या अन्य दस्तावेज भी अपने अभ्यावेदन के साथ प्रस्तुत कर सकता है। उनके अभ्यावेदन के आधार पर 45 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करेगी।
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